चने की बुवाई के लिए नमी कितना सही?
किसी भी फसल की बुवाई के समय नमी की मात्रा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. मिट्टी की कमी से फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती है. खेत में पर्याप्त नमी है या नहीं इसके लिए किसान खुद भी जांच कर सकते हैं. किसानों को इसकी जांच के लिए मिट्टी के लड्डू से ये उपाय करना होगा.
चने की बुवाई नवंबर के मध्य तक बुवाई की जा सकती है. देशी चने की बुवाई के लिए 75- 100 किग्रा और काबुली चने के लिए 100- 120 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग करें. बीज को 8- 10 सेंटीमीटर की गहराई पर उचित नमी में बोएं. दीमक से बचाव के लिए अंतिम जुताई के समय कीटनाशक का प्रयोग करें.
किसी भी फसल की बुवाई करने से पहले खेत की तैयारी करना एक अहम प्रक्रिया है. किसान सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें. इसके बाद कल्टीवेटर से दो या तीन क्रास जुताई करें. हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और खेत में नमी बनी रहे. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि चने की खेत में को जलभराव न हो.
चना दलहनी फसल है, इसलिए इसे नाइट्रोजन की कम आवश्यकता होती है. किसान 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50-60 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय कतारों में डालें. फास्फोरस के लिए सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) का इस्तेमाल करें क्योंकि इसमें सल्फर भी पाया जाता है.
किसी भी बीज की बुवाई करने से पहले अगर उसको उपचारित कर लिया जाए तो फसल सुरक्षित रहती है. चने की बुवाई करने के लिए सबसे पहले थायरम + कार्बेन्डाजिम, फिर दीमक के लिए कीटनाशक से उपचारित करें और अंत में राइजोबियम कल्चर तथा पीएसबी कल्चर से बीज को उपचारित करें. यह फफूंद जनित रोगों जैसे उकठा और कीटों से बचाव करता है.
चने के अच्छे जमाव के लिए बुवाई के समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होना बहुत जरूरी है. नमी कम होने पर बीज को नमी के संपर्क में लाने के लिए बुवाई थोड़ी गहरी बुवाई करें और पाटा चला दें. नमी की कमी से जमाव प्रभावित हो सकता है. खेत में पर्याप्त नमी है या नहीं इसके लिए किसान खुद भी जांच कर सकते हैं.
किसान खेत की जुताई के बाद मिट्टी को मुट्ठी में लेकर अच्छी तरह से कस कर दबाएं, अगर मिट्टी का लड्डू बन रहा है तो चने की बुवाई की जा सकती है और अच्छा जमाव भी होगा लेकिन अगर प्राप्त नमी न हो तो बुवाई से पहले किसान खेत का पलेवा करें और उसके बाद ही बुवाई करें.

