Uttar Pradesh

मिर्ची फार्मिंग ट्रिक : जीवन में मिठास घोल देगा मिर्च उगाने का ये तरीका! बेचोगे, बांटोगे…लेकिन नहीं होगी खत्म

मिर्च की खेती से किसान मालामाल हो सकते हैं

मिर्च की मांग हर रसोई में हमेशा रहती है. जितनी तीखी होगी, उतनी ही डिमांड ज्यादा रहती है. किसान भाई अगर सही तरीका अपनाएं तो एक एकड़ में 40 से 50 क्विंटल की पैदावार ले सकते हैं. मिर्च की खेती आज किसानों के लिए आय का मजबूत साधन बन गई है. कुछ बातों का ध्यान रखकर कम समय में मालामाल होने का ये टॉप सीक्रेट है.

मिर्च की खेती किसानों के लिए लाभदायक फसल के रूप में उभरी है. जहां पहले किसान धान या गेहूं जैसी परंपरागत फसलों पर निर्भर थे, अब वे नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. इन्हीं नकदी फसलों में से एक है- मिर्च की खेती, जो कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली उपज बन चुकी है. कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा, बीएससी एग्रीकल्चर (डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या) लोकल 18 से बताते हैं कि मिर्च की खेती आज सिर्फ परंपरागत खेती का विकल्प नहीं, बल्कि किसानों के लिए आय का मजबूत साधन बन गई है. सही तकनीक, जैविक खाद और रोग नियंत्रण उपाय अपनाकर किसान मिर्च की फसल से भरपूर मुनाफा कमा सकते हैं.

मिर्च की खेती के लिए आवश्यक शर्तें

मिर्च की फसल गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह पनपती है. इसे 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, मिर्च की खेती के लिए आदर्श मानी जाती है. बुवाई से पहले खेत को 2-3 बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. मिर्च की फसल को पौधशाला में तैयार कर खेत में रोपा जाता है. बीजों को बुवाई से पहले फफूंदनाशक दवा से उपचारित कर लेना चाहिए ताकि पौध रोगों से सुरक्षित रहे. लगभग 25-30 दिन बाद जब पौधे 10 से 12 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं, तो इन्हें खेत में रोप दिया जाता है.

कितनी खाद, कितना पानी

मिर्च की फसल में जैविक खाद का उपयोग सबसे अच्छा माना जाता है. एक एकड़ खेत के लिए 8 से 10 टन गोबर की सड़ी खाद डालनी चाहिए. एनपीके (NPK) मिश्रित रासायनिक खाद भी पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है. फसल में समय-समय पर हल्की सिंचाई जरूरी होती है, खासतौर पर फूल और फल लगने के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. मिर्च की फसल में थ्रिप्स, एफिड्स और पत्ती मुड़ने वाले वायरस जैसी बीमारियां आम हैं. इनसे बचाव के लिए नीम आधारित जैव कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है. खरपतवार नियंत्रण का भी ध्यान रखना जरूरी है. एक एकड़ में औसतन 40 से 50 क्विंटल हरी मिर्च की पैदावार ली जा सकती है. अगर सूखी मिर्च के रूप में बेचें तो लगभग 8 से 10 क्विंटल उत्पादन मिलता है. वर्तमान बाजार दर के अनुसार, किसान एक एकड़ से 1.5 से 2 लाख रुपये तक का लाभ कमा सकते हैं.

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