छठ महापर्व की तैयारी जोरों पर है. ‘नहाय खाए’ से इसकी शुरुआत होगी. संतान की प्राप्ति के साथ धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. इस महापर्व पर सूर्य के साथ छठी मैया की पूजा होती है. आइए जानते हैं कि छठी मैया कौन हैं और सूर्य से उनका क्या रिश्ता है.
छठ के महापर्व की छटा पूरे देश में दिखाई देती है. ‘नहाय खाए’ से इस महापर्व की शुरुआत होती है. 25 अक्टूबर से सूर्य उपासना के इस महापर्व का आगाज हो रहा है. छठ के इस महापर्व पर भगवान सूर्य के साथ छठी मैया की पूजा होती है. छठी मैया कौन हैं? भगवान सूर्य से इनका क्या कनेक्शन है. आइए काशी के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं.
पुराणों के अनुसार, छठी मैया प्रकृति की देवी हैं. सृष्टि के रचना के समय प्रकृति ने अपने आप को छः भागों में बांटा था. यह छठा भाग ही छठी मैया हैं जिनकी पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है. कहीं-कहीं इन्हें परमपिता भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री भी मानते हैं. इसके अलावा, इन्हें भगवान सूर्य की बहन भी कहा जाता है.
इनकी करती हैं रक्षा ऐसी मान्यता है कि छठी मैया ही नवजात शिशुओं की 6 महीने तक रक्षा करती है. इसलिए माताएं पुत्र की सलामती के लिए छठ के महापर्व पर उनकी पूजा करती हैं और उन्हें अर्ध्य देती हैं. बीएचयू के ज्योतिष डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पण्डित सुभाष पांडेय बताते हैं कि शास्त्रों में षष्ठी तिथि स्त्रीलिंग मानी जाती है. इसलिए इस पूजा को छठ के साथ छठी मैया के नाम से जोड़ दिया गया है.
इस कामना से रखते हैं व्रत छठ का महापर्व चार दिनों का होता है. संतान की प्राप्ति के साथ धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि के प्राप्ति के लिए देशभर में महिलाएं इस व्रत को रखती हैं. यह व्रत 36 घंटे का सबसे कठिन निर्जला होता है. खरना पर चावल और गुड़ के खीर ग्रहण के बाद इस कठिन व्रत की शुरुआत होती है. पहले दिन डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर इस व्रत का समापन किया जाता है. बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत कई राज्यों में इन दिन अद्भुत छठा दिखाई देती है.

