चंद्रग्रहण 2025: जानें क्या है ग्रहण के दौरान जप और तप का महत्व
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिषशास्त्र में इसका विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि चंद्रग्रहण का सीधा असर मानव जीवन पर पड़ता है. 7 सितंबर को साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जो पूरे देश में दिखाई देगा. ग्रहण के 9 घंटे पहले सूतक काल की शुरुआत होगी.
ग्रहण के दौरान जप और तप का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस काल में मंत्रों की सिद्धियां भी होती हैं और उनके जप से कई गुना फल प्राप्त होता है. वहीं शास्त्रों में ग्रहण काल के दौरान कुछ ऐसी चीजें हैं जिनकी मनाही है. ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण में इन चीजों से परहेज नहीं करने पर जिंदगी में तरह-तरह की मुश्किलें चली आती हैं।
ग्रहण के दौरान इन 5 कामों से बचें
ग्रहण के 9 घंटे पहले सूतक लगता है. सूतक काल से ग्रहण के मोक्ष काल तक भोजन करने से परहेज करना चाहिए. हालांकि वृद्ध, बीमार और बच्चों के लिए यह नियम लागू नहीं होता है. सूतक काल में भूलकर भी देव विग्रह का स्पर्श नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस दौरान कोई धार्मिक अनुष्ठान जैसे हवन-पूजन करने की मनाही भी शास्त्रों में है. ऐसा करना मानव जीवन के मुसीबतों को बढ़ाता है।
ग्रहण में रखा हुआ भोजन भी आपके उसके मोक्ष के बाद नहीं ग्रहण करना चाहिए. बचें हुए भोजन को आप गाय का कुत्ते को खिलाएं. यह भोजन आपके लिए ऑफत बन सकती है. इसके साथ ही ग्रहण के स्पर्श से मोक्ष काल के बीच मल-मूत्र का विसर्जन भी नहीं करना चाहिए.
गर्भवती महिलाएं ध्यान रखें
ग्रहण के शुरुआत के बाद व्यक्ति को सोना नहीं चाहिए. बल्कि इस समय में उन्हें देव आराधना करनी चाहिए. मंत्रों का जाप करने से उनके जीवन पर ग्रहण का प्रभाव भी कम होता है. गर्भवती महिलाओं को इस समय में विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस काल में उन्हें सिलाई नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा उन्हें सब्जी-फल जैसी चीजों को काटने से भी बचना चाहिए.
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