सेप्सिस एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है, जो संक्रमण के कारण शरीर के इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होती है. एक हालिया शोध से पता चला है कि कैंसर और डिमेंशिया प्रमुख जोखिम कारक हैं, जो सेप्सिस के रोगियों में मृत्यु दर के जोखिम को बढ़ाते हैं. हर साल, यह स्थिति लाखों लोगों की जान लेती है.
डेनिश शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में, उम्र और हार्ट डिजीज जैसे अन्य कारणों को भी बताया गया है, जो सेप्सिस से प्रभावित रोगियों में दो वर्षों के भीतर मौत के जोखिम को बढ़ाते हैं.
मृत्यु दर के कारण
डेनमार्क के आरहुस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में क्लीनिक एपिडेमियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. फिन ई. नीलसन ने बताया, हमने पाया कि कुछ विशेष कारक सेप्सिस के बाद मौत के जोखिम को बढ़ाते हैं, जिसमें बढ़ती उम्र भी शामिल है. इसके अलावा डिमेंशिया, कैंसर, हार्ट डिजीज और अस्पताल में भर्ती होने के छह महीने के भीतर सेप्सिस में मौत का खतरा बढ़ना आम है.
इसे भी पढ़ें- Ayurveda For Heart: हार्ट अटैक को दो कोस दूर रखेंगे ये 3 फूड्स, आयुर्वेद एक्सपर्ट ने बताया कैसे खाने से होगा फायदा
714 मरीजों पर हुई स्टडी
इस शोध को कोपेनहेगन में यूरोपियन इमरजेंसी मेडिसिन कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया. इसमें एक टीम ने अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के अंत तक आपातकालीन विभाग में भर्ती 714 वयस्क रोगियों पर एक दीर्घकालिक अध्ययन किया. ये सभी रोगी सेप्सिस से पीड़ित थे और अध्ययन का उद्देश्य यह जानना था कि इनमें से कितने लोगों की बाद में बीमारी से मौत हुई.
मौत की संभावना
शोधकर्ताओं ने पाया कि दो वर्षों के बाद, सेप्सिस से पीड़ित 361 (50.6 प्रतिशत) रोगियों की मौत सेप्सिस सहित अन्य कारणों से हुई. खासतौर पर, उम्र बढ़ने के साथ मौत का जोखिम 4 प्रतिशत, कैंसर हिस्ट्री होने पर मौत का जोखिम दोगुना, हार्ट डिजीज के मामलों में जोखिम 39 प्रतिशत, डिमेंशिया वाले रोगियों में जोखिम 90 प्रतिशत और सेप्सिस के साथ अस्पताल में भर्ती होने के छह महीने के भीतर मौत का खतरा 48 प्रतिशत बढ़ जाता है.
इसे भी पढ़ें- Cancer: 1965-1996 के बीच पैदा होने वालों पर मंडरा रहे 17 तरह के कैंसर, बचने का सिर्फ ये एक रास्ता!
Greta Thunberg Arrested in London at Pro-Palestinian Protest
NEWYou can now listen to Fox News articles! Climate activist Greta Thunberg was arrested Tuesday in London while…

