Can the glasses worn in childhood be removed permanently? An eye specialist from Max Hospital explained | क्या बचपन से आंखों पर चढ़ा चश्मा, हमेशा के लिए उतर सकता है? मैक्स हॉस्पिटल के नेत्र विशेषज्ञ ने बताया

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Can the glasses worn in childhood be removed permanently? An eye specialist from Max Hospital explained | क्या बचपन से आंखों पर चढ़ा चश्मा, हमेशा के लिए उतर सकता है? मैक्स हॉस्पिटल के नेत्र विशेषज्ञ ने बताया



आंखों से कम नजर आना, या दूर और पास की चीजों को देखने में परेशानी बुढ़ापे में होने वाली एक कॉमन समस्या है, लेकिन अब छोटे बच्चों में भी यह दिक्कतें काफी तेजी से बढ़ रही हैं. कुछ बच्चों में विजन प्रॉब्लम जन्मजात है तो वहीं, कुछ थोड़े समय बाद इसे डेवलप करते हैं. यह या तो निकट दृष्टि हो सकती है जिसे मेडिकल भाषा में मायोपिया कहा जाता है या दूरदर्शिता जिसे हाइपरमेट्रोपिया कहा जाता है. हाइपरमेट्रोपिया आम तौर पर जन्म से मौजूद होता है और मायोपिया जन्म से मौजूद हो सकता है या वर्षों से डेवलप हो सकता है. आंखों की रोशनी से जोड़ी दोनों ही कंडीशन में बच्चे को दैनिक दिनचर्या में स्ट्रगल करना पड़ता है.
ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी से पता चलता है कि बच्चों में विजन प्रॉब्लम तेजी से बढ़ रहा है. 3 में से 1 बच्चा मायोपिया यानी कि पास की चीजों को बिना चश्मे के मदद के देखने में असमर्थ है. ये स्टडी छह महाद्वीपों के 50 देशों के पांच मिलियन से अधिक बच्चों और किशोरों पर किया गया है. इसमें कोई दोराय नहीं कि कमजोर आंखों के लिए चश्मा एक सपोर्ट की तरह काम करता है. लेकिन यह एक तरह से मजबूरी भी बन जाती है, जिसके कारण बच्चा जिंदगी की काफी सारी चीजों को एक्सपीरियंस नहीं कर पाता है. तो क्या बचपन में आंखों पर चढ़े चश्मे का कोई उपाय नहीं है? 
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क्या बच्चे का कमजोर विजन ठीक हो सकता है? नेत्र विशेषज्ञ की राय 
डॉ. रमन मेहता, प्रिंसिपल सलाहकार-नेत्र विज्ञान, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नोएडा बताते हैं कि यदि आपको मायोपिया है तो आप करेक्टिव चश्मे से अपनी आंखों की रोशनी वापस पा सकते हैं लेकिन मेडिकल रूप से चश्मे से छुटकारा नहीं पा सकते हैं.  18 साल की उम्र के बाद आपको सर्जिकल लेजर सुधार की आवश्यकता हो सकती है. लेकिन हाइपरमेट्रोपिया वाले बच्चे कुछ समय के बाद चश्मे से छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि आईबॉल आकार में बढ़ता है.
विजन प्रॉब्लम के टाइप पर डिपेंड ट्रीटमेंट 
एक्सपर्ट बताते हैं कि हाइपरमेट्रोपिया या दूरदर्शिता एक ऐसी स्थिति है जहां बच्चे के बढ़ने और आंख के आकार में बढ़ने के साथ चश्मे का पावर कम होने की उम्मीद होती है. वहीं, मायोपिया या निकट दृष्टि एक ऐसी स्थिति है जहां आंख पहले से ही बड़ी है और इसे रिवर्स नहीं किया जा सकता है और इसलिए उपचार का उद्देश्य या तो पावर को बढ़ने से रोकने या इसकी स्पीड को कम करना होता है. 
मायोपिया को बढ़ने से रोकने के उपाय 
मायोपिया को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ आई ड्रॉप मौजूद हैं, जिनका उपयोग लेंस के पावर को बढ़ाने की गति को धीमा करने के लिए किया जा सकता है या कुछ मामलों में यह रुक भी जाता है. ये बूंदें अब भारत में आसानी से उपलब्ध हैं. इसके अलावा उपचार विकल्प मायोपिया करेक्शन लेंस है. इससे या तो मायोपिया में वृद्धि को धीमा करने या कुछ वृद्धि को रोकने में बहुत प्रभावी पाए गए हैं.
बच्चों में विजन प्रॉब्लम की वजह
मोबाइल आज के समय में बच्चे को पैदा होते ही मोबाइल देखने के लिए पकड़ा दिया जाता है. इस से पैरेंट्स को तो अपने लिए फ्री टाइम मिल जाता है, लेकिन यह बच्चे के ग्रोथ के लिए हानिकारक है. खासतौर पर बच्चे की आंखे इससे ज्यादा प्रभावित होती है. क्योंकि मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों में प्रवेश करती है और समय के साथ रेटिना को डैमेज करने का काम करती है. उस समय खतरा और भी बढ़ जाता है, जब मोबाइल को बच्चा बहुत नजदीक से देखता है. 
पोषण की कमीविटामिन ए आंखों की सेहत के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है. इसकी कमी के कारण न सिर्फ आंखों की देखने की क्षमता कमजोर होती है, बल्कि लंबे समय में इससे अंधेपन का भी जोखिम होता है. ऐसे में जरूरी है बच्चे को संतुलित डाइट दें. ये सुनिश्चित करें कि आपका बच्चे के खाने की थाली में अंडा, पत्तेदार सब्जियां, गाजर, खट्टे फल, शकरकंद, मछली, दाल जैसे आंखों की सेहत के लिए जरूरी फूड्स पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो.   
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मेडिकल कंडीशन बार्डेट-बाइडल सिंड्रोम, लेबर कॉन्जेनिटल अमौरोसिस, रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (आरपी), स्टारगार्ड मैकुलर डिस्ट्रॉफी और अशर सिंड्रोम जैसी रेटिना संबंधी बीमारियां बच्चों में कम दृष्टि या अंधापन का कारण बन सकती हैं. इनमें से किसी भी रेटिना संबंधी बीमारी से पीड़ित बच्चे की कम दृष्टि वाले ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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