आप जानते हैं लिवर आपके शरीर के 500 फंक्शन को करने के लिए जरूरी है. यदि इसमें गड़बड़ी हो तो धीरे-धीरे आपके पूरे शरीर में इसका असर बीमारियों के रूप में नजर आ सकता है. वैसे तो लिवर खुद की सफाई करने में सक्षम होता है. लेकिन यदि आप बिना सोचे-समझें कुछ भी खा रहे हैं, तो इसे प्रोसेस करने में यह टॉक्सिन से भर सकता है. यह टॉक्सिन मुख्य रूप से अनहेल्दी फैट होते हैं, जो लिवर पर ही जमा होने लगते हैं, और उसे सड़ाने लगते हैं यानी कि लिवर सिरोसिस का कारण बनते हैं.
हालांकि लिवर सिरोसिस फैटी लिवर का एडवांस लेवल है. ऐसे में आपके पास काफी वक्त होता है कि आप लिवर को सड़ने स बचा लें. लेकिन क्या आपको लिवर सिरोसिस हो सकता है? इसका जवाब आप अपनी खानपान की आदतों को देखकर समझ सकते हैं. जैसे कि यदि आप ज्यादा शराब पीते हैं, या नहीं पीते हैं पर फैट और तेल मसाले की चीजें भरपूर खाते हैं, तो आप लिवर पर जुल्म कर रहे हैं. जिससे आपको कभी भी फैटी लिवर, हेपेटाइटिस और सिरोसिस हो सकता है.
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एक्सपर्ट से समझें लिवर सिरोसिस क्या है?
डॉ. विशाल खुराना, मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के निदेशक हैं, जो बताते कि लिवर सिरोसिस एक गंभीर और क्रॉनिक बीमारी है जिसमें लिवर के हेल्दी टिश्यू धीरे-धीरे घाव (फाइब्रोसिस) में बदल जाते हैं. इससे लिवर की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है. इस स्टेज में पीलिया, पेट में पानी भरना (एसाइटिस), ब्लीडिंग या लिवर कैंसर भी हो सकता है. ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट करना जरूरी हो जाता है. हालांकि यह विकल्प अब एक मात्र रास्ता नहीं है हेल्दी लिवर पाने के लिए. अब इम्यूनोथेरेपी की मदद से इलाज की एक नई राह खुल गयी है.
लिवर सिरोसिस के लक्षण
लिवर सिरोसिस की पहचान लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) के जरिए करना ज्यादा सटीक होती है. इसके अलावा लिवर में सिरोसिस होने पर खून की उल्टी, गहरे रंग का मल, पेट में पानी भरना, बहुत ज्यादा मात्रा में गैस निकलना, मतली, पैरों में पानी जमा होना, थकान, या भूख न लगना. त्वचा में सूजी नसों का जाल या पीली त्वचा और आंखें, अचानक वजन में बदलाव, खाने की नली के निचले हिस्से में सूजी हुई शिराएं, खुजली, गहरे रंग का पेशाब, नाभि के आस-पास बढ़ी हुई नसें, मांसपेशियों में कमजोरी, सांस फूलना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि यह संकेत दूसरे बीमारियों से भी संबंधित हो सकते हैं इसलिए डॉक्टर से परामर्श और लिवर टेस्ट करना जरूरी होता है. कभी भी लक्षणों को देखकर खुद से इलाज न शुरू करें. यह स्थिति को और बिगाड़ सकता है या जानलेवा बना सकता है.
OTT बिग बॉस 3 की विजेता सना खान करवा रहीं इम्यूनोथेरेपी
टीवी एक्ट्रेस और ओटीटी बिग बॉस 3 की विजेता सना मकबूल 32 की उम्र में लिवर सिरोसिस के ग्रस्त हैं. उन्हें ये बीमारी ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के कारण हुई. जिसके लिए वह लंबे समय से दवा ले रही थीं. लेकिन हाल ही में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी और उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टर ने कहा. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सना ने इसके लिए साफ मना कर दिया. ट्रांसप्लांट से बचने के लिए वो इम्यूनोथेरेपी ले रही हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि इससे वह बहुत थकान महसूस करती हैं.
क्या है इम्यूनोथेरेपी?
डॉक्टर विशाल बताते हैं कि इम्यूनोथेरेपी एक ऐसा इलाज है जो शरीर की खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को इस्तेमाल करके बीमारी से लड़ता है. यह तकनीक कैंसर में खासतौर पर सफल रही है, और अब इसे लिवर की बीमारियों में भी आजमाया जा रहा है. शोधकर्ताओं का मानना है कि लिवर सिरोसिस केवल लिवर को नुकसान पहुंचने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें इम्यून सिस्टम की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है. इसलिए अगर इम्यून सिस्टम को सही दिशा में मोड़ा जाए, तो लिवर की सूजन और घाव बनने की प्रक्रिया को रोका या उलटा जा सकता है.
कैसे काम करती है इम्यूनोथेरेपी लिवर सिरोसिस में?
वैज्ञानिक कई प्रकार की इम्यूनोथेरेपी तकनीकों पर काम कर रहे हैं. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी थेरेपी- जिसमें लिवर में होने वाली लगातार सूजन को कम करने का काम किया जाता है. एंटी-फाइब्रोसिस थेरेपी- यह इम्यून सिस्टम के ऐसे रास्तों को रोकती है जो फाइब्रोसिस यानी घाव बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं, इम्यून सेल थेरेपी- इसमें खास इम्यून कोशिकाओं (जैसे रेगुलेटरी टी-सेल्स या मैक्रोफेज) को ट्रेन कर वापस शरीर में डाला जाता है ताकि वे सूजन को कम कर सकें और लिवर की मरम्मत में मदद करें. इसके अलावा चेकपॉइंट इनहिबिटर्स- ये दवाइयां आमतौर पर कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होती हैं, लेकिन अब इन्हें उन मरीजों में आजमाया जा रहा है जिनमें लिवर कैंसर के साथ सिरोसिस होता है.
क्या अब लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ेगी?
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि फिलहाल, इम्यूनोथेरेपी पूरी तरह से लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प नहीं बन सकी है, लेकिन इसकी संभावना दिख रही है. अगर सिरोसिस की बीमारी शुरुआती या मध्यम स्तर पर हो, तो इम्यूनोथेरेपी सूजन और घाव को कम करके लिवर को फिर से बेहतर बना सकती है. हालांकि, यदि लिवर पूरी तरह से फेल हो चुका है (डिकंपेन्सेटेड सिरोसिस), तब केवल इम्यूनोथेरेपी से पूरा इलाज संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बना रहता है. फिर भी, अगर बीमारी का पता समय रहते लग जाए और इम्यूनोथेरेपी शुरू कर दी जाए, तो यह बीमारी को आगे बढ़ने से रोक सकती है और ट्रांसप्लांट की आवश्यकता को टाल सकती है.
ध्यान रखें ये बात
गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट विशाल खुराना बताते हैं कि इम्यूनोथेरेपी लिवर सिरोसिस के इलाज में एक अहम कदम बनकर उभर रही है. इससे लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत को कम किया जा सकता है, लेकिन अभी पूरी तरह से इस पर डिपेंड होना मुश्किल है. यदि समय रहते इलाज शुरू किया जाए, तो यह न केवल बीमारी को रोक सकती है बल्कि लिवर को कुछ हद तक ठीक भी कर सकती है. आने वाले वर्षों में, जैसे-जैसे रिसर्च आगे बढ़ेगी, यह उम्मीद की जा रही है कि इम्यूनोथेरेपी कई मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित होगी और लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता को काफी हद तक कम कर देगी.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.