झांसी रेल मंडल ने घने कोहरे के कारण कई यात्री ट्रेनें रद्द की हैं
उत्तर भारत में घने कोहरे की शुरुआत होते ही भारतीय रेलवे ने एहतियातन बड़ा कदम उठाया है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 1 दिसंबर से 28 फरवरी तक कई यात्री ट्रेनों को पूर्ण या आंशिक रूप से रद्द किया गया है. झांसी रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज सिंह ने स्पष्ट किया कि यह फैसला सिर्फ सुरक्षा के लिए है और लंबी दूरी की ट्रेनों के संचालन पर इसका कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. सर्दियों में कोहरा सिर्फ विजिबिलिटी नहीं घटाता, बल्कि सिग्नल-रीडिंग, ट्रैक-निरीक्षण, लोको-पायलट की विजुअल जजमेंट सबको प्रभावित करता है.
इन पैसेंजर ट्रेनों से रोज मजदूर, छात्र, खेत-खलिहान से जुड़े लोग, छोटे व्यापारी, महिला यात्री प्रतिदिन अपने काम के लिए आते-जाते हैं. जब ये ट्रेनें रद्द होती हैं तो असर सीधा उनकी जेब, समय और काम पर पड़ता है. वही ग्रामीणों का कहना है कि पैसेंजर ट्रेन ही हमारी रोज की सवारी है. बसें महंगी पड़ती हैं, टाइम भी फिक्स नहीं मिलता. लंबी दूरी की गाड़ियों का किराया भी काफी अधिक रहता है. ऐसे में पैसेंजर ट्रेनों के निरस्त होने से बुंदेलखंड में रहने वाले ग्रामीण आबादी के लिए ये अगले 90 दिनों के लिए यात्रा के लिहाज से काफी मुश्किलों भरा होता है।
झांसी मंडल ने पिछले सालों के डेटा के आधार पर यह फैसला किया है कि घने कोहरे में धीमी स्पीड, क्यू-अप ट्रेनों और अचानक सिग्नल मिसरीडिंग के जोखिम बढ़ते है. इसी वजह से तय हुआ है कि कुछ तयशुदा रूटों पर सिर्फ उन्हीं ट्रेनों को चलाया जाए जिनकी डिमांड जरूरी और जिनकी ऑपरेशन-सेफ्टी मैनेज की जा सकती है।
जन सम्पर्क अधिकारी मनोज सिंह का कहना है कि लॉन्ग-डिस्टेंस ट्रेनों के संचालन में कोई बाधा नहीं आने वाली है. इन ट्रेनों के लिए स्लॉट फिक्स रहते है. रेक-अलोकेशन पहले से प्लान होता है. कोहरे में रनिंग-प्रोटोकॉल पहले से एडवांस्ड तरीके से फॉलो किए जाते है. इनका स्टॉपेज स्ट्रक्चर क्लियर और लो-डेंसिटी होता है, इसलिए रिस्क कम है.

