Yellow Wheat vs Brown Wheat: भारत में गेहूं मेन फूड का एक अहम हिस्सा है, जो रोटियों, चपातियों और ब्रेड के जरिए हमारी खास डाइट बना हुआ है. वैसे तो हमारी थाली में पीले गेहूं का रसोई में दबदबा है, लेकिन भूरा गेहूं अपने न्यूट्रिशनल वैल्यू और बेनेफिट के लिए लोगों का ध्यान खींचता रहा है. लेकिन ब्राउन व्हीट असल में क्या है, और क्या ये येलो व्हीट जितना ही पोषक तत्वों से भरपूर है, या इससे ज्यादा बेहतर है.
ब्राउन व्हीट क्या है?न्यूट्रिशनिस्ट निखिल वत्स (Nikhil Vats) ने बताया कि ब्राउन व्हीट, जिसे अक्सर होल व्हीट कहा जाता है, वो कम प्रॉसेस्ड होता है. इसमें गेहूं के दाने का चोकर, बार्न और एंडोस्पर्म बरकरार रहता है. रिफाइंड येलो व्हीट के उलट, जिसे मिलिंग के दौरान चोकर और बार्न निकल जाता है. चोकर की मौजूदगी के कारण होल व्हीट में नेचुकर ब्राउन कलर बरकरार रहता है. साबुत अनाज का ये फॉर्म में कम पॉलिशिंग क जाती है, जो इसके न्यूट्रिशन की डेंसिटी को बरकरार रखता है.
दोनों गेहूं के न्यूट्रिशनब्राउन व्हीट पोषक तत्वों के मामले जाहिर तौर पर बेहतर नजर आता है, जो कम प्रॉसेस्ड होता. इसमें डाइटरी फाइबर काफी ज्यादा होते हैं, जो डाइजेशन को बेहतर करते हैं, ब्लड शुगर को रेगुलेट करते है, और इसके जरिए दिल की सेहत को भी बेहतर बना जा सकता है. 100 ग्राम भूरे गेहूं में तकरीबन 10 से 12 ग्राम फाइबर होता है, वहीं रिफाइंड येलो व्हीट की इतनी ही क्वांटिटी में 2 से 3 ग्राम फाइबर होता है. चोकर और जर्म विटामिन बी, आयरन, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सिडेंट जैसे जरूरी पोषक तत्व भी देते हैं, जो पीले गेहूं की प्रोसेसिंग में काफी हद तक खत्म हो जाते हैं. ये न्यट्रिएंट्स मेटाबॉलिज्म, इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ को सपोर्ट करते हैं.
डायबिटीज में फायदेमंदब्राउन व्हीट का लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स इसे डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए एक बेहतर ऑप्शन बनाता है. इसके कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे एनर्जी रिलीज करते हैं, जिससे ब्लड शुगर में अचानक स्पाइक नहीं होती है. इसके अलावा फाइबर कंटेंट पेट को भरा हुआ महसूस करता है, जिससे वेट को मैनेज करना आसान हो जाता है.
पीला गेंहू इतना पॉपुलर क्यों है?हालांकि, पीले गेहूं का भी अपनी अहमियत है. इसके रिफाइंड टेक्सतर से नर्म रोटियां बनती हैं और ये नान जैसे कुछ भारतीय डिशेज के लिए पसंद किया जाता है. ये कुछ लोगों के लिए पचाने में भी आसान होता है, हालांकि इसमें ब्राउन व्हीट की तरह न्यूट्रिशनल डेप्थ की कमी होती है.
ब्राउन व्हीट बेहतर हैइन बातों से साबित होता है कि ब्राउन व्हीट में इतनी अच्छाई इसे येलो व्हीट के मुकाबले न्यूट्रिशनली बेहतर बनाती है, जो हमें फाइबर, विटामिंस और मिनरल्स भरपूर मात्रा में दे सकते है. अगर आप अपनी सेहत को लेकर कॉन्शियस हैं तो येलो व्हीट से ब्राउन व्हीट की तरफ स्विच करना बेहतर ऑप्शन है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.