उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के दुबेपुर गांव में ब्रिटिश कालीन इमारतें आज खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। ये इमारतें उस दौर की सैनिक प्रशिक्षण स्थलों की याद दिलाती हैं, जहां ब्रिटिश अधिकारी और सैनिक गोली चलाने का अभ्यास करते थे।
भारत को आजादी हुए 79 साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम की यादें आज भी उन इमारतों में मौजूद हैं जो अब खंडहर हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के दुबेपुर गांव में कुछ ऐसी ही इमारतें मौजूद हैं। माना जाता है कि यहीं से अंग्रेज अधिकारी और ब्रिटिश सैनिक अपनी गोली चलाने की ट्रेनिंग लिया करते थे। वर्तमान में ये इमारतें खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं, लेकिन भारत की आजादी और उस समय की परिस्थितियों की याद आज भी ताजा करती हैं।
इतना पुराना है इतिहास
स्थानीय निवासी रमेश कुमार वर्मा ने बताया कि 1915 से 1935 के बीच इन इमारतों का निर्माण ईंट और चूने से किया गया था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश सैनिकों और अधिकारियों को गोली चलाने और अन्य सैन्य गतिविधियों का प्रशिक्षण देना था। यहीं पर ब्रिटिश अधिकारी भी प्रशिक्षण लिया करते थे। हालांकि आज ये इमारतें खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं, लेकिन यह स्वतंत्रता संग्राम और ब्रिटिश कालीन भारत की याद को आज भी जीवित रखती हैं।
बनाए गए हैं कुएं
दुबेपुर गांव में जगह-जगह कई कुएं बनाए गए थे। ऐसा माना जाता है कि ब्रिटिश सैनिक और अधिकारी यहां प्रशिक्षण के दौरान इसी कुएं का पानी पीते थे। साथ ही, इन कुओं का उपयोग गांव के खेतों की सिंचाई के लिए भी किया जाता था। उस समय दुबेपुर गांव कृषि के मामले में काफी समृद्ध माना जाता था।
खंडहर में तब्दील हो चुकी इमारतें
लोकल 18 की टीम जब दुबेपुर गांव पहुंची, तो देखा कि यह इमारतें मजबूत ईंटों से बनी थीं। लेकिन रखरखाव और संरक्षण की कमी के कारण अब यह पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। वर्तमान में इनका कोई प्रयोग नहीं हो रहा है। स्थानीय लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि इन ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण किया जाए। ताकि इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम की यादें जिंदा रह सकें।