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Brain Eating Amoeba killed 4 people in kerala flesh eating monster lurks in these things symptoms prevention | Brain Eating Amoeba: इन चीजों में घात लगाए बैठा दिमाग खाने वाला दैत्य, नाक के छेद से खोपड़ी में घुसकर चट करता है ब्रेन, केरल में एक के बाद एक चौथी मौत



केरल के कोझिकोड जिले में एक 9 साल की बच्ची की दुर्लभ और खतरनाक ब्रेन इंफेक्शन अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस के कारण मौत हो गई है. यह संक्रमण एक फ्री‑लिविंग अमीबा नेगलेरिया फाउलेरी से हुआ, जिसे ब्रेन-ईटिंग अमीबा भी कहा जाता है. 
यह अमीबा दूषित मीठे पानी में पाया जाता है. बच्ची की मौत कोई पहला मामला नहीं है, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केरल में ये ब्रेन ईटिंग अमीबा से हुई चौथी मौत है. इसका शिकार आप भी हो सकते हैं, इसलिए इससे बचाव के उपायों को अच्छी तरह से समझ लेना आपके लिए जरूरी है. 
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अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस क्या है?
यह बहुत खतरनाक ब्रेन इंफेक्शन जो नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा द्वारा होता है, जो आमतौर पर तालाबों और नदी जैसे गर्म, मीठे और दूषित जल में पाया जाता है. ऐसे में जब व्यक्ति इस पानी में नहाता है या गोता लगाता है, तो यह अमीबा नाक से शरीर में प्रवेश कर मस्तिष्क तक पहुंच जाता है, जहां यह ब्रेन टिश्यू को तेजी से नष्ट कर देता है. यह इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. 
कितने खतरनाक है यह बीमारी?
यह बीमारी तेजी से बढ़ने वाली और लगभग हमेशा घातक होती है. लक्षण दिखाई देने के 1 से 12 दिनों के भीतर मरीज के हालत में तेजी से गिरावट आती है, और अधिकांश मामलों में 5 दिनों के अंदर ही मौत हो जाती है.  
शुरुआती लक्षण क्या हैं?
ब्रेन ईटिंग अमीबा का इंफेक्शन होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी, गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे और कोमा जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं. इसका खतरा उन बच्चों और युवा वयस्कों में अधिक हैं, जो खुले, गर्म और दूषित पानी में नहाते हैं.
बचाव के उपाय
स्टैग्नेंट या गंदे मीठे पानी में न तैरें. तैरते समय या स्नान के दौरान नाक को बंद रखें या नोज क्लिप का उपयोग करें. नाक की सफाई हेतु नेति पॉट जैसे उपयोगों में सिर्फ उबला या डिस्टिल्ड पानी इस्तेमाल करें. अगर नहाने के बाद अचानक सिरदर्द, बुखार या भ्रम जैसा लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें.  इलाज संभव है?
इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन जल्दी पहचान और इलाज की शुरुआत से बचाव की संभावना थोड़ी बढ़ सकती है. डॉक्टर एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबियल दवाएं देकर लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश कर सकते हैं. हालांकि सफलता दुर्लभ ही होती है.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 
 
 



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