बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में मैथमेटिक्स का डर आम बात है, लेकिन सही दिशा और रणनीति से यह सब्जेक्ट आसान बनाया जा सकता है. अलीगढ़ में ड्यूटी सोसाइटी कोचिंग में 10 साल से मैथमेटिक्स पढ़ा रहे मलिक फहीम बताते हैं कि मैथ कोई मुश्किल सब्जेक्ट नहीं, बस उसे समझदारी से प्लान कर के पढ़ने की ज़रूरत है.
मैथमेटिक्स के एक्सपर्ट मलिक फहीम का कहना है कि आगामी तीन महीनों में होने वाले बोर्ड एग्ज़ाम को लेकर बच्चों में मैथ का डर आम बात है, लेकिन कुछ आसान तरीकों से यह सब्जेक्ट बेहद आसान बनाया जा सकता है. उनके अनुसार मैथ में कुछ चैप्टर्स आसान होते हैं, जबकि कुछ कठिन होते हैं. इसलिए सबसे पहले स्टूडेंट्स को यह पहचानना चाहिए कि कौन से चैप्टर्स उनके लिए आसान हैं और कौन से मुश्किल. आसान चैप्टर्स पहचानने के बाद उनके पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र देखें और पता करें कि किस प्रकार के सवाल अधिक पूछे जाते हैं. इससे एक स्पष्ट पैटर्न तैयार हो जाता है.
मलिक फहीम यह भी बताते हैं कि फार्मूलों को केवल रट लेने से फायदा नहीं होता. फार्मूला याद करके छोड़ देने के बजाय उन पर आधारित सवालों की लगातार प्रैक्टिस ज़रूरी है. खासतौर पर कठिन चैप्टर्स के फार्मूलों की एक लिस्ट बनाकर पहले आसान सवालों से शुरुआत करनी चाहिए, फिर धीरे-धीरे कठिन और कॉम्प्रिहेंशन टाइप प्रश्नों की ओर बढ़ना चाहिए. वे बताते हैं कि बोर्ड एग्ज़ाम में स्टेप मार्किंग बहुत महत्वपूर्ण होती है. कोचिंग में पढ़ते हुए बच्चे अक्सर शॉर्ट में लिखने की आदत डाल लेते हैं, लेकिन बोर्ड की कॉपी में स्टेप-बाय-स्टेप आंसर लिखना ज़रूरी है. इसलिए अलग से बोर्ड-स्टाइल प्रैक्टिस करना बेहद काम आता है. जैसे किसी दो मार्क्स वाले प्रश्न को कैसे लिखना है और तीन मार्क्स वाले प्रश्न को कैसे लिखना करना है.
मलिक फहीम कहते हैं कि मैथ में शॉर्टकट से ज्यादा प्रैक्टिस मायने रखती है. जितने ज्यादा सवाल हल किए जाएंगे, फार्मूले उतने ही अच्छी तरह दिमाग में सेट हो जाएंगे. खासतौर पर 10वीं के छात्रों को ट्रिग्नोमेट्री के फार्मूले कठिन लगते हैं, लेकिन नियमित अभ्यास से यही फार्मूले आसानी से याद हो जाते हैं. वे कहते हैं कि बच्चों के फार्मूले भूलने की मुख्य वजह यह है कि वे पर्याप्त संख्या में प्रश्नों की प्रैक्टिस नहीं करते. जब प्रैक्टिस बढ़ जाएगी, तो फार्मूले अपने-आप याद हो जाएंगे और भूलना मुश्किल हो जाएगा.

