वाराणसी: आधुनिक दौर में महिलाएं किसी से कम नहीं है. कभी अबला कही जाने वाली नारी अब फाइटर प्लेन से लेकर ट्रेन तक पटरियों पर दौड़ा रही है. आज हम आपको इससे इतर उन आत्मनिर्भर महिलाओं के बारे में बताएंगे, जो अब रेल का इंजन भी बना रही हैं. यही नहीं इनके बनाएं इंजन भारत सहित दुनिया के 11 देशों की पटरियों पर दौड़ रहे हैं. वाराणसी के बनारस रेल इंजन कारखाने में 350 महिलाएं इस काम में जुटी हैं, जो भारी भरकम मशीनों का इस्तेमाल कर रेल इंजन को बना रही हैं.दरअसल 1964 में रेल इंजन के निर्माण के लिए बनारस रेल इंजन कारखाने की स्थापना हुई थी. उस वक्त यहां डीजल के इंजन बनाए जाते थे. जिसके कारण इसका नाम डीजल इंजन कारखाना था. स्थापना के समय से ही यहां पुरुषों का वर्चस्व था लेकिन बीते कुछ सालों में यहां महिलाओं का कुनबा बढ़ा और अब 350 महिलाएं यहां काम कर रेल का इंजन तैयार कर रही हैं. इतना ही नहीं, वर्तमान समय में पूरे बीएलडब्लू का कार्यभार भी महिलाएं ही संभाल रही हैं.ये चीजें करती हैं तैयारबता दें कि इस कारखाने में महिलाएं हार्वेस, रूफ टॉप, सेल और इंजन के कई पार्ट्स को तैयार करती हैं. हार्वेस प्रोडक्टिविटी में 60 फीसदी से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं. यहां काम करने वाली गायत्री ने बताया कि वो पिछले कई सालों से यहां रेल इंजन के वायर को तैयार करती हैं. इसके अलावा जयश्री यहां इंजन के टॉप रूफ में लाइटिंग और टेस्टिंग का काम करती हैं.देश में है अलग पहचानबनारस रेल इंजन में काम कर रही ये महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि आधुनिक भारत की नई तस्वीर को भी बयां करती हैं. यहां काम करने वाली हर महिला को इस बात का गर्व है कि वो लीक से हटकर न सिर्फ काम करती है बल्कि देश में अपनी अलग पहचान भी रखती हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 04, 2023, 17:34 IST
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