बलिया की विरासत ‘सेनेटरी गलियां’: लंदन के नक्शे पर हुआ था निर्माण, अब अतिक्रमण ने छीन ली पहचान, जानिए पूरी कहानी

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बलिया की विरासत 'सेनेटरी गलियां': लंदन के नक्शे पर हुआ था निर्माण, जानें कहानी

बलिया: बलिया को यूं ही “बागी” नहीं कहा जाता. यह शहर ना सिर्फ अपने वीरों और आंदोलनों के लिए मशहूर रहा है, बल्कि यहां की पुरानी रिहायशी संरचना भी आज किसी धरोहर से कम नहीं है. बलिया शहर का एक ऐसा हिस्सा भी है, जिसकी गलियों की रचना लंदन के नक्शे पर की गई थी. इसे ब्रिटिश इंजीनियरों ने प्लानिंग के तहत बसाया था.

लेकिन अफसोस की बात ये है कि जो गलियां कभी स्वस्थ नागरिक जीवन, शुद्ध हवा और बेहतर सफाई की मिसाल थीं, आज गंदगी, अतिक्रमण और उपेक्षा का शिकार बन गई हैं. यह वही गलियां हैं, जिन्हें ‘सेनेटरी गलियां’ कहा जाता है. ये गलियां महिलाओं के आवागमन, हवा के प्रवाह और घर की सफाई के लिए बेहद जरूरी मानी जाती थीं.

लंदन से आया था नक्शा
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि बलिया के इस पुराने हिस्से का नक्शा लंदन से बनकर आया था. इसे ब्रिटिश इंजीनियरों ने इस तरह डिजाइन किया था कि हर घर को ताजी हवा, साफ-सफाई और निजी स्थान मिले. हर 50 मीटर पर एक सेनेटरी गली बनाई गई थी, जिससे गंदगी बाहर निकल सके और महिलाओं को सुविधा मिल सके.

इन गलियों में ईंटों का खड़ंजा लगाया गया था, जो आज भी जमीन के नीचे खुदाई करने पर दिखाई देता है. लेकिन अब इन गलियों पर लोगों ने लेट्रिन टैंक बना दिए हैं, कूड़ा डाल दिया है, और कुछ जगहों पर तो पक्के निर्माण कर दिए गए हैं.

क्या है इन गलियों की अहमियत?
पुराने बलिया में हर घर के पीछे एक संकरी लेकिन उपयोगी गली होती थी. ये गालियां महिलाओं के आने-जाने के लिए सुरक्षित रास्ता होती थीं. यदि घर में मेहमान हों तो महिलाएं पीछे से निकल जाती थीं. शुद्ध हवा घर तक पहुंचती थी. इसके अलावा कचरा, पानी और गंदगी की निकासी इन्हीं से होती थी. सामाजिक संरचना को सरल और सुलभ बनाती थीं, लेकिन आज ये गलियां अपने ही वजूद के लिए संघर्ष कर रही हैं.

प्रशासन से लोगों ने की ये मांगइतिहासकारों का कहना है कि यदि इन सेनेटरी गलियों को दोबारा व्यवस्थित किया जाए तो बलिया जैसा छोटा शहर भी बड़े शहरों को पीछे छोड़ सकता है. इससे न सिर्फ शहर का स्वरूप बदलेगा, बल्कि रोजगार के अवसर, स्वच्छता और ट्रैफिक की समस्या से भी निजात मिल सकेगी. लोगों का कहना है कि प्रशासन इन गलियों को संरक्षित करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा. उनका यह भी मानना है कि इन गलियों की गंदगी, बदबू और संकरी हालत की वजह से बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है.

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