सनन्दन उपाध्याय/बलिया: मृदा और कृषि विभाग के शोध में एक ऐसे छोटे अनाज पर सफलता प्राप्त हुई है. जो न केवल खाने में आनंदित है बल्कि सेहत के लिए भी काफ़ी फायदेमंद है. सबसे ख़ास बात यह है कि इसकी खेती अनुपयोगी जमीन पर भी की जा सकती है. बिना लागत की होने वाली ये फसल छोटा अनाज रागी के नाम से जाना जाता है. जिसे श्रीअन्न में भी शामिल किया गया है. यह छोटा अनाज गरीब किसानों के लिए काफी लाभप्रद खेती है.

इस फसल को संपन्न करने के लिए न ही सिंचाई और न ही कोई खाद उर्वरक की आवश्यकता होती है. यह कम वर्षा वाले माहौल में भी संपन्न हो जाता है. बड़े ही कम दिनों में यह खेती होती है. रागी एक ऐसा छोटा अनाज है जो स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक सिद्ध होता है. जहां पूरा देश श्री अन्य का उत्सव मना रहा है तो वहीं बलिया में मृदा व कृषि विभाग के विशेषज्ञों का यह शोध जनपद में खुशी का बहार ला दिया है. इसकी कई प्रजाति होती है जिसमें से हम बात करेंगे रागी के प्रजाति ओयलम 203 की.

रागी शरीर के लिए फायदेमंद

मृदा विज्ञान व कृषि रसायन के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि यह छोटा अनाज रागी शरीर के लिए बड़ा ही फायदेमंद है. यह बड़े फाइव स्टार होटल में रागी की खीर के नाम से बड़ा चर्चित है. इसकी खेती करना बड़ा ही आसान है. यह रागी की फसल किसानों के लिए बड़ा ही लाभकारी सिद्ध होगी. इस फसल में कोई खर्चा नहीं केवल जुताई, बुवाई और कटाई करना है.

ये है इस छोटे अनाज की खासियत

जहां एक तरफ पूरा देश श्री अन्न को लेकर उत्सव मना रहा है वही बलिया जिले में मृदा विज्ञान व कृषि रसायन विभाग की टीम ने ऐसा शोध किया है की किसानों में नई उम्मीद की किरण जग गई है. छोटा अनाज रागी जो शरीर के स्वास्थ्य में अहम भूमिका अदा करता है और इसकी खेती करना भी बड़ा आसान है. जो जमीन किसी काम की नहीं उस पर भी उग सकता है. यह छोटा अना. न हि सिंचाई की परेशानी न ही किसी खाद और उर्वरक की समस्या है. खास बात तो यह है कि इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगती है. रागी का खीर भी बहुत स्वादिष्ट होता है. यह रागी की प्रजाति ओयलम 203 है. किसी भी प्रकार की मिट्टी में इसकी खेती बड़े आसानी के साथ की जा सकती है.

ऐसे करें इस गुणकारी छोटे अनाज की खेती

विभागाध्यक्ष ने बताया कि हम लोग मिट्टी, प्रदूषण, कृषि और जल में कई वर्षों से शोध करते आ रहे हैं. सबसे प्रमुख बात यह है कि हम लोगों का उद्देश्य ही बीएससी एग्रीकल्चर, एमएससी एग्रीकल्चर और पीएचडी एग्रीकल्चर में शोध करने के साथ-साथ किसनो का मदद करना है. रागी की खेती करना बड़ा आसान है. 400 ग्राम बीज एक बीघा खेती के लिए पर्याप्त है. 400 ग्राम बीज से लगभग 8 से 10 कुंतल रागी उत्पन्न किया जा सकता है. इसका बीज हल्का भूरे रंग का होता है. यह बड़े-बड़े होटलों में रागी के खीर के नाम से बड़ा चर्चित है. इसके अनेकों औषधीय गुण भी हैं. गेहूं और चावल के प्रति यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है. इसकी खेती में कोई लागत नहीं है कोई रोग ब्याधि ही नहीं है ना किसी प्रकार के कोई खाद्य उर्वरक की जरूरत है. यहां तक की इसकी खेती में सिंचाई की भी कोई आवश्यकता नहीं है. जो जमीन किसी खेती के लिए उपयोगी नहीं है. उस जमीन पर भी इस महत्वपूर्ण अनाज की खेती किया जा सकता है. यह बाजार में काफी मुसीबत के बाद बड़े महंगे भाव पर मिलता है. चुकी इसके खेती को लेकर किसानों में जानकारी की कमी है. उपर्युक्त विधि के अनुसार किसान इसकी खेती बड़े ही आसानी पूर्वक संपन्न कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं.
.Tags: Ballia news, Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : October 19, 2023, 12:28 IST



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