बलिया में एक युवक की कहानी है जिसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया. मंजीत वर्मा नाम का यह युवक बलिया जिले के मनियर थाना क्षेत्र अंतर्गत देवापुर गांव का रहने वाला है. वह एक ग्रेजुएट है और अपने परिवार के लिए रोजगार की तलाश में था, लेकिन सरकारी नौकरियों की दौड़ में सालों तक मेहनत करने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली.
इस बीच, मंजीत ने अपनी योग्यता के अभिमान को किनारे रखा और सड़क के किनारे भुजा का ठेला लगा दिया. वह रोज भुजा बेचकर अपने परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करते हैं, बच्चों की किताबों का खर्च उठाते हैं और मां-बाप की दवा का इंतजाम करते हैं. उनका यह संघर्ष आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन रहा है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है.
मंजीत का मानना है कि सरकार प्रयास कर रही है और भविष्य में रोजगार के अवसर और बेहतर बनेंगे, लेकिन तब तक खुद पर भरोसा और कर्म में आस्था रखनी चाहिए. वह समाज को एक संदेश देते हैं कि अगर आप कुछ बन नहीं पाए, तो कुछ बनने का रास्ता खुद तय करें. उनका सपना है कि बेरोजगार युवाओं के लिए कुछ अच्छा कदम उठाए जाएं, जो सबके हित में होगा.
मंजीत की कहानी एक संदेश है कि सपने जरूरी हैं, लेकिन उन सपनों को जीने के लिए हिम्मत बनानी ही पड़ती है. वह एक प्रेरणा है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है.