अभिषेक जायसवाल / वाराणसीः काहे राम के भइल वनवास…सीता जी ककइसे भइल हरण… हनुमान जी काहे कइलन लंका दहन.. रामायण के ऐसे तमाम प्रसंगों को आप अब भोजपुरी भाषा में भी पढ़ सकते हैं. इसके लिए आपको धर्म नगरी काशी (Kashi) आना होगा. काशी के लंका स्थित ‘कला दीर्घा’ की लाइब्रेरी में भोजपुरी रामायण (Bhojpuri Ramayan) है, जिसे इन दिनों लोग खूब पढ़ रहे हैं. खासकर युवाओं में इसको पढ़ने का जबरदस्त उत्साह है.रामायण को भोजपुरी भाषा में पढ़ने के लिए वाराणसी, बलिया, गाजीपुर के अलावा बिहार (Bihar) समेत भोजपुरी बेल्ट के अन्य क्षेत्रों से लोग यहां आ रहे हैं. भोजपुरी में रामायण को पूर्वांचल की मिट्टी के साहित्यकार इंजीनियर राजेश्वर सिंह ने लिखा है और उन्होंने इस किताब को आर्ट दीर्घा लाइब्रेरी में लोगों के पढ़ने के लिए रखा है. बता दें कि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) के भोजपुरी अध्ययन केंद्र के पूर्व समन्वयक डॉ सदानंद शाही ने इस लाइब्रेरी को दो साल पहले शुरू किया था.शाही ने बताया कि भोजपुरी भाषा गांव और आम लोगों की भाषा है. ऐसे में भोजपुरी में रामायण लिखे जाने के बाद जन-जन तक इसकी पहुंच हो गई है और हर कोई इसे पढ़कर इसके भाव को समझ रहा है. सिर्फ गांव के लोग नहीं बल्कि बीएचयू में रिसर्च करने वाले छात्र भी इस रामायण में खासी दिलचस्पी लेकर इसके पन्ने पलटते नजर आ रहे हैं.बीएचयू की स्टूडेंट शुभी मिश्रा ने बताया कि भगवान राम की जीवनी से जीवन को बहुत कुछ सीखने को मिलता है. रामायण को अपनी मातृ भाषा भोजपुरी में पढ़कर हम लोग विचारों को आसानी से समझकर अपने जीवन मे आत्मसात कर सकते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : May 04, 2023, 12:19 IST
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