Drinking Water From Lota: पानी पीने के बर्तन की बात की जाए तो, आयुर्वेद और धर्म ग्रंथों के मुताबिक चांदी, तांबा, कांसा और पीतल जैसे मेटल के बर्तन में रखा पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. जबकि प्लास्टिक, स्टील या लोहे के बर्तनों में पानी पीने से बचना चाहिए क्योंकि ये शरीर पर बुरा असर डाल सकते हैं. इसी के साथ कहा जाता है कि पानी गिलास के बजाय लोटे में पीना चाहिए. पुराने समय में लोग लोटे से पानी पीते थे, क्योंकि वे इससे पानी पीना ज्यादा फायदेमंद मानते थे.
लोटा गिलास से क्यों बेहतर है?कहते हैं कि गिलास का प्रचलन पुर्तगाल से हुआ. पुर्तगालियों के चलते यह भारत में प्रचलन में आया. लोटे से पानी पीना बेहतर माना जाता है क्योंकि इसका आकार सीधा और एक जैसा नहीं होता, बल्कि गोल होता है, जो आयुर्वेद के अनुसार ज्यादा फायदेमंद होता है. इसके मुकाबले, गिलास सीधा और एक रेखा में होता है, जिसे पानी पीने के लिए ठीक नहीं माना जाता. इसलिए गिलास से पानी पीने की आदत छोड़ देने की सलाह दी जाती है.
पानी दूसरों का गुण अपना लेता है पानी का अपना कोई गुण नहीं होता. वह जिस बर्तन में रखा जाता है, उसी के गुणों को अपना लेता है. जैसे अगर पानी दूध में मिल जाए, तो वह दूध जैसा बन जाता है, और दही में मिले तो दही जैसा. इसलिए पानी को किस बर्तन में रखा जाता है, यह बहुत मायने रखता है. जिस बर्तन में पानी रखा जाता है, उसका साइज भी पानी पर असर डालता है. जैसे लोटा गोल होता है, तो उसमें रखा पानी भी गोल साइज के असर को अपनाता है. यह बैलेंस्ड एनर्जी को ग्रहण करता है. वहीं गिलास का आकार सीधा और सिलेंडर की तरह होता है, जो नेचुरली लोटे जितना फायदेमंद नहीं माना जाता.
गोल साइज से पानी पर अच्छा असर पड़ता हैपुराने समय से कुएं होते थे, जो गोल साइज में बने होते थे. ठीक वैसे ही जैसे लोटा होता है. ऐसा इसलिए किया जाता था क्योंकि गोल साइज से पानी पर अच्छा असर पड़ता है. गोल चीजों का बाहरी हिस्सा यानी सरफेस एरिया कम होता है, और जब सरफेस यानी सतह कम होती है तो उस पर तनाव, जिसे वैज्ञानिक भाषा में सरफेस टेंशन कहते हैं, भी कम होता है. जब पानी का सरफेस टेंशन कम होता है, तो वह शरीर के लिए और भी फायदेमंद बन जाता है.
ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज शरीर के लिए नुकसानदायक होती हैऐसा माना जाता है कि अगर आप ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज पीते हैं, तो वह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है, क्योंकि उसमें एक तरह का अतिरिक्त प्रेशर होता है. आपने देखा होगा कि साधु संतों के पास कमंडल होते हैं, जो लोटे के आकार यानी कुंए के आकार की तरह होते हैं. यह शरीर के लिए ज्यादा आरामदायक और फायदेमंद माने जाते हैं.
कम सरफेस टेंशन वाला पानीजब पानी का सरफेस टेंशन कम होता है, तो उसका असर हमारे शरीर पर ज्यादा समय तक बना रहता है. ऐसे पानी का एक खास फायदा यह है कि यह हमारी आंतों की सफाई में मदद करता है. हमारी बड़ी और छोटी आंत के अंदर एक मेम्ब्रेन होती है, जिस पर समय के साथ गंदगी जमा हो जाती है. उस गंदगी को साफ करना बहुत जरूरी होता है ताकि पेट सही तरीके से काम करे. अगर हम कम सरफेस टेंशन वाला पानी पीते हैं, तो वह आंतों की गहराई से सफाई करने में मदद करता है और पेट को स्वस्थ रखता है.
कम सरफेस टेंशन वाले पानी पीने के फायदेइसे दूसरी तरीके से समझने की कोशिश करते हैं. अगर आप अपने चेहरे पर थोड़ा दूध लगाएं और 5 मिनट बाद रुई से पोंछें, तो रुई काली हो जाती है. इसका मतलब यह है कि दूध ने त्वचा की गहराई में छुपी गंदगी को बाहर निकाल दिया. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दूध का सरफेस टेंशन कम होता है. इससे त्वचा थोड़ी खुल जाती है और अंदर की गंदगी बाहर आ जाती है. ठीक इसी तरह, जब आप लोटे जैसे गोल बर्तन में रखा पानी पीते हैं, तो वह भी कम सरफेस टेंशन वाला होता है. ऐसा पानी पेट में जाकर आंतों को साफ करता है, जैसे दूध ने चेहरे की सफाई की थी. इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है और शरीर स्वस्थ रहता है.
इन बीमारियों से बचा जा सकता हैइस आदत से शरीर में ताकत आती है और आप लंबे समय तक कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं. खासकर भगंदर, बवासीर और आंतों में सूजन जैसी परेशानियां होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. इसी वजह से आयुर्वेद में कहा जाता है कि लोटे से पानी पीना चाहिए और गिलास का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. लोटे में पानी गोल साइज में बना रहता है, ठीक वैसे ही जैसे बारिश की बूंदें गोल होती हैं. गोल साइज वाला पानी नेचर के करीब होता है और सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. इसलिए लोटे का पानी पीना एक अच्छी आदत है, जो शरीर को बैलेंस्ड और हेल्दी रखती है.–आईएएनएस
Disclaimerयहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.