Last Updated:August 06, 2025, 08:37 ISTJaunpur Atala Masjid: अटाला मस्जिद जौनपुर की पहचान है. यह शार्की वास्तुकला और सांस्कृतिक सह-अस्तित्व की मिसाल है. 1393 में इस मस्जिद की फिरोज शाह तुगलक ने नींव रखी, 1408 में इब्राहिम शाह शर्की ने पूरा किया. इस …और पढ़ेंहाइलाइट्सअटाला मस्जिद का निर्माण हिंदू कारीगरों ने किया था.मस्जिद का निर्माण 1393 में शुरू हुआ और 1408 में पूरा हुआ.अटाला मस्जिद सांस्कृतिक सह-अस्तित्व की मिसाल है.जौनपुर: जौनपुर शहर की पहचान मानी जाने वाली अटाला मस्जिद न सिर्फ अपनी शार्की वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह सांस्कृतिक सह-अस्तित्व की अनूठी मिसाल के रूप में भी चर्चा में है. इतिहासकारों के अनुसार इस मस्जिद के निर्माण में स्थानीय हिंदू कारीगरों और शिल्पकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अटाला मस्जिद हमारे जौनपुर में स्थित एक भव्य मस्जिद है, जिसका निर्माण 14वीं शताब्दी में कराया गया था. यह मस्जिद शाही किले से मात्र 300 मीटर, जामा मस्जिद से 1 किमी और जौनपुर के केंद्र से 2.2 किमी उत्तर-उत्तर पूर्व में स्थित है.
इतिहास और निर्माण की कहानी
अटाला मस्जिद का निर्माण कार्य 1393 ईस्वी में शुरू हुआ था, जब फिरोज शाह तुगलक ने इसकी नींव रखी. करीब 15 सालों तक निर्माण कार्य चलता रहा, और आखिर में 1408 ईस्वी में इब्राहिम शाह शर्की ने इसे पूरा करवाया. यह मस्जिद लगभग 100 फीट ऊंची है और इसकी विशाल पिश्ताक़ (मुख्य द्वार) दूर से ही आकर्षित करती है. यह मस्जिद शार्की शैली की भव्यता का अद्भुत उदाहरण मानी जाती है, जो उस समय की इस्लामी वास्तुकला का महत्वपूर्ण अंग थी.
इतिहासकार डॉ. बृजेश यदुवंशी बताते हैं कि मस्जिद के निर्माण के दौरान स्थानीय हिंदू कारीगरों शिल्पकारों ने सक्रिय भूमिका निभाई. उनका कहना है कि यह हिंदू स्थापत्य शैली से मेल खाती हैं, जो यह दर्शाती है कि मस्जिद के शिल्प निर्माण में हिंदू कलाकारों की कला को भी स्थान मिला.
सांस्कृतिक सह-अस्तित्व का प्रतीक
इतिहासकारों के अनुसार, अटाला मस्जिद केवल मुस्लिम शासकों की धरोहर नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक का प्रतीक भी है. डॉ. यदुवंशी का मानना है कि उस समय स्थानीय समाज की विशेषज्ञता और शिल्प कौशल को साथ लेकर ही इतनी भव्य संरचना संभव हो पाई. उन्होंने यह भी बताया कि मस्जिद के कई हिस्सों में उस समय के हिंदू स्थापत्य के प्रतीकात्मक पैटर्न देखने को मिलते हैं, जो इसे अन्य मस्जिदों से अलग पहचान देते हैं.
अटाला मस्जिद की खासियत
आज अटाला मस्जिद न केवल जौनपुर की पहचान है, बल्कि भारत की साझा संस्कृति और स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण भी है. यह दर्शाती है कि मध्यकालीन भारत में स्थापत्य धरोहरें अक्सर विभिन्न समुदायों के संयुक्त प्रयासों से बनती थीं. हिंदू शिल्पकला और शार्की इस्लामी वास्तुकला के इस संगम ने अटाला मस्जिद को एक अनोखी ऐतिहासिक धरोहर बना दिया है.
अटाला मस्जिद का इतिहास हमें यह सिखाता है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहरें सह-अस्तित्व और सहयोग से निर्मित हुई हैं. जौनपुर की यह मस्जिद न केवल धार्मिक वास्तुकला का शिखर है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम शिल्प और कला के संगम का भी जीवंत प्रमाण है.Lalit Bhattमीडिया फील्ड में एक दशक से अधिक से सक्रिय. वर्तमान में News18 हिंदी में कार्यरत. 2010 से नई दुनिया अखबार से पत्रकारिता की शुरुआत की.फिर हिंदुस्तान, ईटीवी भारत, वेबदुनिया समेत कई जगहों पर रिपोर्टिंग और डेस्क मे…और पढ़ेंमीडिया फील्ड में एक दशक से अधिक से सक्रिय. वर्तमान में News18 हिंदी में कार्यरत. 2010 से नई दुनिया अखबार से पत्रकारिता की शुरुआत की.फिर हिंदुस्तान, ईटीवी भारत, वेबदुनिया समेत कई जगहों पर रिपोर्टिंग और डेस्क मे… और पढ़ेंLocation :Jaunpur,Jaunpur,Uttar PradeshFirst Published :August 06, 2025, 08:36 ISThomeuttar-pradeshबेहद अनोखी है UP की यह मस्जिद, हिंदू कारीगरों ने किया था निर्माण