संजय यादव/बाराबंकीः वैसे तो पूरे देश भर में मिट्टी के विभिन्न प्रकार के बर्तन बनाए जाते हैं और उनकी बिक्री भी होती है. लेकिन उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में मिट्टी के ऐसे कई प्रकार के अनोखे बर्तन बनाए जाते हैं जो देश में ही नहीं विदेशों में भी खरीदे जाते हैं. बाराबंकी जिले में स्थित हाजी वारिस अली शाह की दरगाह से इन मिट्टी के बर्तनों का पुराना नाता है. आज भी यहां के मिट्टी के कारीगर इन बर्तनों को बनाते हैं और अपनी रोजी-रोटी चलते हैं. इन बर्तनों की डिमांड आज भी पहले जैसी बरकरार है.दरअसल, हम बात कर रहे हैं जनपद बाराबंकी के देवा कस्बे की. जहां पर सुप्रसिद्ध सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह स्थित है. कहा जाता है की हाजी वारिस अली शाह सरकार के पास अमरोहा जनपद से एक उनके अनुयायी मिट्टी का प्याला लेकर आये थे और उन्हें सप्रेम भेंट की थी. जिसको देखकर हाजी वारिस अली शाह ने उस मिट्टी के प्याले को देवा में स्थित कारीगर को दिखाया और उसे बनाने को कहा. उसे कारीगर ने नए तरीके से मिट्टी के प्यालो सहित तमाम बर्तन बनाकर हाजी वारिस अली शाह की खिदमत में पेश किया. इसके बाद मानो देवा सरीफ में मिट्टी बर्तनों की बिक्री में चार चांद लग गए. लोग दूरदराज से इन मिट्टी के बर्तनों को खरीदने के लिए आज भी यहां पहुंचते हैं. ये मिट्टी के बर्तन अपने आप मे अनोखे लगते है. इसी लिए देवा महोत्सव में आने वाले लाखों देश विदेश के जायरीन इन मिट्टी के बर्तनों को खरीद कर ले जाते है.बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई बनाता है मिट्टी के बर्तनमिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर पीर मोहम्मद ने बताया कि उनके पूर्वज के द्वारा हाजी वारिस अली सरकार के जमाने से इन मिट्टी के बर्तनों को बनाने का कार्य किया जाता रहा है. इसी से अपने परिवार का भरण पोषण होता है. हम अपने पुश्तैनी कार्य को करते चले आ रहे हैं. इसी से उनके घर का गुजारा होता है. उनका कहना है कि हाजी वारिस अली शाह के कारण सेमिट्टी के बर्तनों का कारोबार इस तरह चल रहा है जैसे पहले चलता था. लोग इन बर्तनों को खरीदने के लिए दूरदराज से उनके पास आज भी आते हैं और बर्तनों को बड़े ही शौक के साथ में खरीद कर ले जाते हैं..FIRST PUBLISHED : October 8, 2023, 10:44 IST
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