Last Updated:June 01, 2025, 13:21 ISTबहराइच के अरोहरा गांव के युवा किसान रामकुमार चौधरी ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता पाई है. हैदराबाद से ट्रेनिंग लेकर शुरू की गई इस खेती के लिए उन्हें लखनऊ में डिप्टी सीएम द्वारा सम्मानित भी किया गया.X
बहराइच में ड्रैगन फ्रूट की खेती!हाइलाइट्सरामकुमार चौधरी ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता पाई.हैदराबाद से ट्रेनिंग लेकर खेती शुरू की.लखनऊ में डिप्टी सीएम द्वारा सम्मानित किए गए.बहराइच- बहराइच जिले के ग्राम अरोहरा निवासी रामकुमार चौधरी इन दिनों अपनी ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर सुर्खियों में हैं. जिले में इस फल की खेती करने वाले गिने-चुने किसानों में रामकुमार का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. उनकी इसी पहल के लिए उन्हें लखनऊ में डिप्टी सीएम द्वारा सम्मानित भी किया गया है. वे इस समय लगभग डेढ़ एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं.
बाराबंकी से मिला प्रेरणा का स्रोत, हैदराबाद से ली ट्रेनिंगरामकुमार बताते हैं कि वे शुरू से ही खेती में रुचि रखते थे. लगभग दो साल पहले जब वे बाराबंकी जिले गए, वहां उन्होंने कुछ किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करते देख. वहीं से उन्हें यह नई फसल उगाने की प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने हैदराबाद से तीन दिन की ट्रेनिंग ली और फिर अपने गांव लौटकर इस फल की खेती शुरू कर दी.
लागत और मुनाफे का गणितशुरुआती दौर में रामकुमार ने एक से डेढ़ एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट लगाया. इसमें लगभग 65,000 रुपये की लागत आई, जिसमें प्लांटेशन से लेकर ट्रेनिंग तक की सारी चीजें शामिल थी. रामकुमार के अनुसार, पहले साल से ही फल आना शुरू हो जाता है, लेकिन तीसरे साल से अच्छी कमाई होने लगती है. उन्होंने बताया कि डेढ़ एकड़ में वे हर साल 5 से 6 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहे हैं.
देखरेख और तकनीक का अनोखा तरीकाड्रैगन फ्रूट की खेती में सिंचाई और रखरखाव बेहद अहम है. बरसात के मौसम में पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन गर्मियों में हर चौथे दिन सिंचाई करनी पड़ती है. रामकुमार पुराने मोटरसाइकिल टायरों और सीमेंट के पिलर की मदद से पौधों का सहारा बनाते हैं. उन्होंने पौधों के बीच 10×8 या 10×10 फीट की दूरी रखी है ताकि देखरेख में कोई परेशानी न हो.
सरकारी मान्यता और सम्मानरामकुमार की मेहनत और नवाचार को देखते हुए उद्यान विभाग के 50वें वार्षिक उत्सव में उन्हें इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में आयोजित समारोह में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सम्मानित किया. यह सम्मान न केवल रामकुमार के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे बहराइच जिले के लिए प्रेरणादायक है.
चुनौतियों से भी होता है सामनाड्रैगन फ्रूट की खेती आसान नहीं है. रामकुमार बताते हैं कि ओलावृष्टि और फंगस इसका सबसे बड़ा खतरा है. इसके बचाव के लिए वे जैविक खेती को प्राथमिकता देते हैं और जरूरत पड़ने पर कीटनाशकों का भी संतुलित प्रयोग करते हैं.
Location :Bara Banki,Uttar Pradeshhomeagricultureबाराबंकी में आया आइडिया, हैदराबाद से सीखी तरकीब, देसी किसान की स्मार्ट खेती ने