मथुरा के प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर का तहखाना आज दूसरे दिन फिर से खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह जानकारी देते हुए कहा जा सकता है कि पहले दिन ठाकुर मंदिर के तहखाने को खोला गया था, जिसमें काफी ज्यादा हलचल देखने को मिली थी. एक तरफ जहां गोस्वामी समाज ने इसका विरोध किया था, तो दूसरी तरफ तहखाना में कमेटी को और जांच टीम को कुछ भी हाथ नहीं लगा था. आज फिर लोगों की निगाहें बांके बिहारी मंदिर के तहखाने की तरफ लगी हैं, जिसमें लोगों में यह देखने की कौतूहल है कि आज तहखाने में क्या-क्या हाथ लगता है. कल बड़ी संख्या में लोग और पुलिस मौके पर मौजूद रही थीं.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई हाई पावर्ड कमेटी ने 54 साल पहले बंद पड़े खजाने को खोलने के निर्देश दिए थे. इसके बाद खजाने को खोलने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया था. समिति के निर्देशन में कल यह कार्यवाही हुई, जो लगभग 4 घंटे तक चली थी. पहले दिन जब तहखाना खोला गया तो उसमें कुछ बर्तन, लकड़ी का सिंहासन और बक्से मिले हैं, जिनमें कुछ बर्तन भक्तों के थे. समय कम रहने के चलते ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के तहखाने को बंद कर दिया गया था और उसकी जांच की प्रक्रिया आगे के लिए बढ़ा दी गई थी. लेकिन देर रात को हुए आदेश के बाद 19 अक्टूबर यानी आज एक बार फिर तहखाना खोला जा रहा है.
बांके बिहारी मंदिर परिसर में स्थित खजाना अंतिम बार 1971 में खुला था. 54 वर्ष से यह खजाना बंद था. हालांकि जब 1971 में यह खजाना खुला तब सारा सामान एक बक्से में बंद कर भारतीय स्टेट बैंक के लाकर में रख दिया गया था. ऐसे में जब शनिवार को 54 वर्ष बाद खजाना खोला गया तो उसमें पुराने बर्तन और एक छोटा चांदी का छत्र ही मिला. शनिवार को मिले लोहे के चार संदूक में दो ही खोले गए थे. जबकि एक लकड़ी का पुराना संदूक भी खोला गया था, जिसमें ज्लैवरी के खाली बाक्स मिले थे.