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Balance Disorder symptoms and home remedies sehat ki bat Balance Disorder treatment santulan ear problam azup | Balance Disorder: ‘सिर जो तेरा चकराए या घबराहट बढ़ती जाए’, तो हो सकता है Balance Disorder, जानें इसके उपाय



Balance Disorder: इंसान को चलने के लिए पैरों की जरूरत होती है. इन दो पैरों पर चलने के लिए पावर के बाद अगर सबसे ज्यादा कुछ जरूरी है तो वह है संतुलन यानी की बैलेंस का होना. बिना बैलेंस हमारा पैरों के बलबूते खड़े होना मुश्किल है. रोज के काम करने के लिए संतुलन बेहद जरूरी है.
आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर बैलेंस कैसे बनता है और इसमें शरीर के कौन-कौन से अंगों का योगदान हैं. इसके अलावा यह भी बताएंगे कि जब बैलेंस बिगड़ता हैं तो कौन सी समस्याएं होने लगती है, वहीं इसके इलाज के बारे में बात करेंगे…
शरीर इस तरह से बनाता है संतुलनहमारा शरीर बाइलेटरली सिमेट्रिकल है यानी कि अगर हमारे शरीर को दो भागों में काटा जाए तो दोनों भागों का भार बिल्कुल बराबर होगा. इसका मतलब है कि प्रकृति ने हमारी बॉडी का बैंलेस बनाए रखने के लिए पूरा इंतजाम किया है. अगर हमारी बॉडी के किसी एक हिस्से का वजन बढ़ जाए या कम हो जाए तब भी शरीर गिरता नहीं है, वह बैलेंस बना लेता है. इसकी वजह यह है कि इसके लिए हमारी बॉडी का स्पेशल सिस्टम काम करता है.
यह विजुअल सिस्टम (आंख), वेस्टिबुलर सिस्टम (कान), प्रोप्रियोसेप्शन  (शरीर की स्थिति बताने वाला तंत्र) से मिलकर बना है. जब यह सिस्टम मिलकर सही ढंग से अपना काम करता रहता है तो हमारा शरीर संतुलित रहता है लेकिन इस तंत्र में कहीं भी विकार उत्पन्न होने पर हमारा शरीर संतुलन नहीं बना पाता. इसी अवस्था को ‘बैलेंस डिसऑर्डर’ कहते हैं, जो आज एक आम समस्या बनती जा रही है. 
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बैलेंस डिसऑर्डर के लक्षणजिस व्यक्ति को बैलेंस डिसऑर्डर की समस्या होती है, उन्हें चक्कर आने और घबराहट की समस्या होने लगती है. रोगी को सिर हल्का लगने लगता है, ऐसा लगता है जैसे सिर का वजन खत्म हो गया है. इससे पीड़ित व्यक्ति को कुछ भी पढ़ने और देखने में परेशानी और खड़े होने में दिक्कत होने लगती है. किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता होती है.  कुछ मरीजों में जी मिचलाना या उल्टी होना, दस्त लगने के लक्षण भी देखें जाते हैं. इसके अलावा बेहोशी, धड़कनों का बढ़ना या कम होना, डर और बेचैनी होने लगती है. 
बैलेंस डिसऑर्डर के कई कारण हो सकते हैंकान से संबंधितकान से संबंधित कई तरह की परेशानी होने के कारण बैलेंस डिसऑर्डर होने का खतरा होता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कान में इन्फ्लामेशन, कान में आघात या चोट, मैनिअर डिजीज, कान के लिए हार्मफुल दवाइयां जैसे कि एस्प्रिन, जेंटामायसिन, एमिकासिन, कीमोथेरेपी आदि के साइड इफेक्ट के कारण, बागबार सर्दी-जुकाम होने के कारण गले में सूजन आना और यूस्टेचियन ट्यूब पर दबाव पड़ना. 
नर्वस सिस्टम से जुड़े कारणएक्सपर्ट्स के मुताबिक सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस ब्रेन इंफेक्शन जैसे कि मेनिनजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, ब्रेन टीबी आदि परेशानी भी इसका कारण हो सकती है. इसके अलावा शरीर में विटामिन B-12 की कमी भी तंत्रिकातंत्र के कार्यों को ठीक से ना कर पाने के लिए जिम्मेदार है. ब्रेन ट्यूमर और मल्टिपल स्क्लेरोसिस, पारकिनसन्स डिजीज, कोगन सिंड्रोम, हाइड्रोसेफेलस भी बैलेंस डिसऑर्डर की प्रमुख वजह मानी जाती है. इसके अलावा नशीले पदार्थों के सेवन से भी संतुलन बनाने में परेशानी आती है.
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बैलेंस डिसऑर्डर का इलाजबैलेंस डिसऑर्डर का आयुर्वेद में बहुत आसान और सटीक इलाज बताया गया है. अगर किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से इसका लिया जाता है तो इस परेशानी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है.  इसके अलावा कुछ आसान से उपाय ऐसे हैं जिन्हें आप खुद ही कर सकते हैं. यहां हम आपको उन उपाय के बारे में बता रहे हैं. 
अगर कान के कारण यह समस्या हो रही है तो इन तरीकों को आजमाएं1.अगर रोगी के कान का पर्दे में छेद न हो या फटा न हो तो बिल्व तेल की दो बूंदे कान में डाल दें.2.बादाम का तेल या फिर गाय का घी की दो बूंदे नाक में डाल दें.3.इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को नियमित तौर पर गरारे करना चाहिए.4.बैलेंस डिसऑर्डर की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को रोज प्राणायाम करना चाहिए. 
डिस्क्लेमरः इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. हालांकि, इसकी नैतिक जिम्मेदारी ज़ी न्यूज़ हिंदी की नहीं है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.



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