सनन्दन उपाध्याय/बलिया : बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया. घर में कोई कमाने वाला नहीं था. अब परिवार का बोझ बड़े भाई के कंधों पर आ गया. जहां पर भाई ने दिन-रात मेहनत कर छोटे भाई की पढ़ाई जारी रखी. कदम-कदम पर निराशा व हताशा के माहौल के बीच छोटे भाई ने डॉक्टर बनकर सबको चौंका दिया. ये संघर्षभरी कहानी है बलिया के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राज देव राम की.

जी हां, हम बात कर रहे हैं बलिया के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.डी राम की. जिन्होंने सफलता पाने के लिए क्या कुछ नहीं किया. आर.डी राम ने बताया कि बचपन में ही पिता की मृत्यु हो गई. जिसके बाद बड़े भाई प्रभु नाथ राम ने मेहनत मजदूरी करके मुझे पढ़ाया. लोगों के मार्गदर्शन व सहयोग से हौसला बढ़ा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखी. लगातार असफलताओं के बावजूद हिम्मत नहीं हारी. गांव से शुरू हुई पढ़ाई के बाद एक बड़ी सफलता मिली.

बाधाओं को पार कर मिली सफलताडॉ. आर.डी राम ने बताया कि पढ़ाई के दौरान बचपन में ही काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. मैंने हिम्मत नहीं हारी, जब सफलता के रास्ते पर आदमी चलने के लिए ठान लेता है तो बाधाएं तो बहुत आती हैं. मगर मेरा फोकस लक्ष्य पर था तो उन बाधाओं का समाधान भी साथ में निकलता रहा. मैंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई गांव से पूरी की. उसके बाद गाज़ीपुर पीजी कॉलेज से बीएससी किया. मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद से एमबीबीएस के पढ़ाई के बाद एमएलबी मेडिकल कॉलेज झांसी से किया.

ऐसे मिली सफलताडॉ. आर.डी राम ने बताया कि जब मेरा प्रवेश एमबीबीएस में हुआ तो उस दौरान मैंने पीएमटी के लिए अप्लाई किया. दूसरी बार में इंटरव्यू के बाद मेरा चयन कमीशन के द्वारा हुआ. मेरी पहली पोस्टिंग सुल्तानपुर हुई, उसके बाद उन्नाव. अभी वर्तमान में मैं जिला अस्पताल बलिया में लगभग 10 वर्षों से कार्यरत हूं.
.Tags: Ballia news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : March 25, 2024, 16:36 IST



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