Baba Vanga Prediction Smartphones to Trigger Health Crisis All Age Groups would face disease and disorders | बाबा वेंगा की हेल्थ को लेकर चेतावनी, जेब में रखी ये चीज बनेगी बीमारी-बेचैनी का कारण, हर उम्र का शख्स होगा मरीज

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Baba Vanga Prediction Smartphones to Trigger Health Crisis All Age Groups would face disease and disorders | बाबा वेंगा की हेल्थ को लेकर चेतावनी, जेब में रखी ये चीज बनेगी बीमारी-बेचैनी का कारण, हर उम्र का शख्स होगा मरीज



आप एक डिजीटल युग का हिस्सा हैं, जिसे मॉर्डन और एडवांस वर्ल्ड भी कहा जाता है. अब लोग इंसानों से कम और मशीनों से ज्यादा इंटरेक्ट करते हैं. वैज्ञानिक लगातार इस कोशिश में लगे हैं, कि वह मशीन को इंसानी रूप दे सके. इसका नतीजा रोज एडवांस हो रही टेक्नोलॉजी है, जिससे खुद को बचा पाना लगभग नामुमकिन होता जा रहा है. 
स्मार्टफोन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. इसके कारण आप वास्तविक दुनिया से कटते जा रहे हैं. दिलचस्प बात है कि ज्यादातर लोगों को इसका आभास ही नहीं है. यह उपकरण जो अब तक आपके सिर के बोझ को कम कर रहा था, अब वो आपके दिमाग में घर कर रहा है. इसे लेकर कई साल पहले प्रसिद्ध बल्गेरियाई भविष्यवक्ता बाबा वेंगा ने भी एक चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि एक छोटा लेकिन शक्तिशाली उपकरण (जो आज के समय में स्मार्टफोन है) मनुष्यों के व्यवहार और मानसिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित करेगा. उस समय उनकी यह बात अजीब लगती थी, लेकिन आज यह भविष्यवाणी पूरी तरह सटीक साबित हो रही है.
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हर उम्र के व्यक्ति को स्मार्टफोन की लत
-नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 24% बच्चे सोने से पहले नियमित रूप से स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में चिंता, डिप्रेशन और फोकस करने की समस्या बढ़ रही है. साथ ही, वे असली दुनिया की गतिविधियों और दोस्तों से दूर होते जा रहे हैं.
– बड़ों में भी फोन की लत तेजी से बढ़ रही है. देर रात तक मोबाइल चलाना, लगातार सोशल मीडिया पर रहना आंखों की थकान, गर्दन-दर्द और नींद में कमी जैसी समस्याओं का कारण बन रहा है. मानसिक रूप से यह तनाव, अकेलापन और ध्यान की कमी को जन्म दे रहा है.
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
– लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, धुंधलापन और दर्द की समस्या हो सकती है. 
– गर्दन झुकाकर मोबाइल देखने से ‘टेक्स्ट नेक’ जैसी स्थिति बनती है जिससे रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है.
– स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित करती है, जिससे नींद में दिक्कत होती है.
– स्मार्टफोन से तनाव और अवसाद की समस्या बढ़ रही है. लगातार नोटिफिकेशन और तेज डिजिटल कंटेंट से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घटती है.
रिश्तों में आ रही दूरी
स्मार्टफोन ने सीमाओं से परे परिजनों को भले ही लगातार जोड़े रखा हो लेकिन इसके कारण लोग परिवार के बीच रहकर भी अकेला हो गया है.  सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से असली रिश्तों में दूरी आने लगी है. जिससे सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते कमजोर हो रहे हैं. 
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



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