आज के समय में बड़ों से ज्यादा बच्चे मोबाइल चलाते हुए नजर आते हैं. इसमें वह बच्चे भी शामिल है जिसे अभी सही तरह से बोलने भी नहीं आता है. हालांकि इसकी वजह खुद माता-पिता ही हैं, तो ऐसे में बच्चों को पूरी तरह से इसके लिए गलत ठहराना सही नहीं है.
स्मार्ट पैरेंट सॉल्यूशन कंपनी बाटू टेक के द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि 5-16 वर्ष की आयु के लगभग 60 प्रतिशत बच्चे डिजिटल एडिक्शन के शिकार होने के कगार पर हैं. इसका अनुमान, 1000 माता-पिता के बताए बच्चों के व्यवहार से लगाया गया है.इस उद्देश्य के लिए हुआ था सर्वे
सर्वे का उद्देश्य यह उजागर करना था कि कैसे स्क्रीन एक्सपोजर खराब नींद की गुणवत्ता, कम शारीरिक गतिविधि, सामाजिक और शैक्षणिक प्रदर्शन में कमी सहित विभिन्न जोखिम पैदा करता है.
एक दिन में कितने समय तक मोबाइल चलाना चाहिए
हेल्थ एक्सपर्ट एक दिन में 2-3 घंटे ही मोबाइल चलाने की सलाह देते हैं. क्योंकि छोटी स्क्रिन होने के कारण आंखों पर इसका बहुत ज्यादा असर होता है. हालांकि यह समय सीमा व्यस्कों के लिए है. छोटे बच्चों को इससे कम समय तक ही मोबाइल चलाने के लिए देना चाहिए.
क्या है डिजिटल एडिक्शन
डिजिटल एडिक्शन एक इंप्लस कंट्रोल डिसओर्डर है, इसे इंटरनेट एडिक्शन डिसऑर्डर भी कहा जाता है. इसमें डिजिटल डिवाइस डिजिटल टेक्नोलॉजी और प्लेटफार्म जैसे सोशल मीडिया को इस्तेमाल करने की नीड महसुस होने लगती है.
ऐसे पहचाने आपका बच्चा बन रहा है एडिक्ट
दिन भर फोन में लगा रहता है.
फोन ना मिलने पर गुस्सा या नाराजगी जताना.
दूसरे बच्चों के साथ बाहर खेलने में रूचि ना दिखाना.
चोरी-छिपे फोन चलाना.
फोन चलाने के लिए पढ़ाई का बहाना बताना.
बिना फोन या टीवी के खाना ना खाना.
बच्चे की मोबाइल की लत कैसे छुड़ाएं
बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए आउडोर गेम्स और एक्टिविटी में बिजी रखें. साथ ही कोशिश करें आप खुद भी बच्चे के सामने ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल ना करें. इसके अलावा घर में बच्चे के साथ मिलकर उसे नए और क्रिएटिव स्किल्स सीखने में भी मदद करें.
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“It is true that NH and other networks of roads have been made widely available and electricity reached…

