Last Updated:July 06, 2025, 21:07 ISTAzamgarh News Today: आजमगढ़ के मोहम्मद इकबाल ने कन्नौज से इत्र बनाने की कला सीखकर अपने हाथों से 50 से ज्यादा वैरायटी वाले शुद्ध इत्र तैयार करना शुरू किया है. वे ग्राहकों की पसंद के अनुसार भी इत्र बनाते हैं. हाइलाइट्सआजमगढ़ में कन्नौज और दुबई जैसी खुशबू वाला शुद्ध इत्र बन रहा है.मोहम्मद इकबाल ने कन्नौज से इत्र बनाने की परंपरागत कला सीखी.जामा मस्जिद इलाके में 50 से अधिक खुशबुओं की इत्र वैरायटी उपलब्ध है.आजमगढ़: इत्र यानी खुशबू की वो दुनिया, जिसकी शुरुआत भारत में मुगलों के दौर से मानी जाती है. कहते हैं कि कन्नौज की गलियों में इत्र की महक हवा में घुली होती है. अब यही खुशबू आजमगढ़ की हवाओं में भी महसूस की जा रही है. यहां के जामा मस्जिद इलाके में एक ऐसी दुकान है, जहां कन्नौज और दुबई जैसी खुशबू वाले इत्र तैयार किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि इन्हें मशीन से नहीं, बल्कि हाथों से बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं अगर ग्राहक कहे तो उसकी पसंद के मुताबिक खुशबू भी तैयार की जाती है.
50 से ज्यादा खुशबुओं वाली इत्र की वैरायटीदुकान के मालिक मोहम्मद इकबाल ने Local18 से बातचीत में बताया कि वो खुद इत्र बनाने का काम करते हैं. उनकी दुकान पर 50 से अधिक किस्मों की इत्र उपलब्ध हैं. इनमें गुलाब, चमेली, मिट्टी, चंदन और ऊद जैसी खुशबुओं वाले इत्र खास हैं. ऊद की बात करें तो यह दुनिया की सबसे महंगी इत्रों में से एक होती है, जो खास किस्म की लकड़ी, सेदार से निकलने वाले तेल से बनाई जाती है. ऊद का तेल असम और उड़ीसा में प्रमुख रूप से पाया जाता है.
कन्नौज से ली प्रेरणा
इकबाल बताते हैं कि इत्र बनाने की कला उन्होंने कन्नौज से सीखी, जहां उनके रिश्तेदार वर्षों से इस काम में लगे हुए हैं. वहां रहकर उन्होंने इस पर गहराई से काम सीखा. फिर जब वह आजमगढ़ लौटे, तो अपने घर पर ही एक छोटी सी लैब बना ली. यहां वो आज खुद इत्र तैयार करते हैं. इस काम में वह कच्चा माल कन्नौज और अन्य शहरों से मंगवाते हैं और बेहद पारंपरिक तरीके से शुद्ध इत्र तैयार करते हैं.
ग्राहक की मांग पर बनती है खास खुशबूइकबाल कहते हैं कि इत्र की मांग हर मौसम और हर वर्ग में रहती है. लोग पूजा, नमाज, शादी, ईद या किसी भी खास मौके पर इत्र लगाना पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास आने वाले ग्राहक अगर किसी खास खुशबू की डिमांड करते हैं, तो वो उसी के अनुसार इत्र तैयार करके देते हैं. खास बात ये भी है कि जहां ब्रांडेड इत्र बाजार में हजारों रुपये में बिकता है, वहीं इकबाल का हाथ से बना शुद्ध इत्र सस्ती कीमत पर मिल जाता है, जिससे हर कोई उसे खरीद सकता है.
परंपरा से जुड़ा है आधुनिक स्टार्टअपआजमगढ़ जैसे शहर में, जहां आमतौर पर पारंपरिक व्यवसायों को बहुत कम बढ़ावा मिलता है. वहां मोहम्मद इकबाल जैसे युवा कला, परंपरा और व्यापार को जोड़कर नई दिशा दे रहे हैं. वह न सिर्फ एक पुरानी विरासत को ज़िंदा रखे हुए हैं, बल्कि अपने शहर को भी इत्र की महक से गुलज़ार कर रहे हैं.Location :Azamgarh,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshआजमगढ़ में खुला ‘खुशबू का खजाना’, हाथों से बना रहे दुबई- कन्नौज जैसा इत्र