Asthma does not get cured completely inflammation remains in respiratory tract Study exposed asthma treatment | जड़ से खत्म नहीं होता अस्थमा, सांस की नलियों में बनी रहती सूजन: दमा के इलाज पर स्टडी का खुलासा

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Asthma does not get cured completely inflammation remains in respiratory tract Study exposed asthma treatment | जड़ से खत्म नहीं होता अस्थमा, सांस की नलियों में बनी रहती सूजन: दमा के इलाज पर स्टडी का खुलासा



गंभीर अस्थमा से जूझ रहे मरीजों के लिए बायोलॉजिकल दवाएं यानी बायोलॉजिक्स राहत का एक बेहतर जरिया मानी जाती हैं. ये दवाएं जरूर लक्षणों को कंट्रोल करने में कारगर साबित होती हैं और मरीजों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाती हैं. 
लेकिन नए शोध के अनुसार इन दवाओं से इलाज के बाद भी मरीजों के सांस की नलियों में सूजन बढ़ाने वाली कोशिकाएं बनी रहती हैं. यह रिसर्च स्वीडन के प्रसिद्ध कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किए किया गया है, जो एलर्जी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है. 
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स्टडी का दावा
इस स्टडी में बताया गया कि बायोलॉजिक दवाएं जैसे मेपोलिजुमैब और डुपिल मैब भले ही अस्थमा के लक्षणों को कंट्रोल करती हों, लेकिन ये शरीर में सूजन पैदा करने वाली कोशिकाओं को पूरी तरह खत्म नहीं कर पातीं हैं. 
स्टडी मॉडल
शोध में 40 गंभीर अस्थमा मरीजों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया गया, जो लंबे समय से बायोलॉजिक्स दवाओं का सेवन कर रहे थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि इलाज के बावजूद इन मरीजों के रक्त में सूजन पैदा करने वाली इम्यून कोशिकाओं की संख्या घटने के बजाय बढ़ गई.
एक्सपर्ट की राय
प्रोफेसर जेनी मोज्सबर्ग जो कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में टिश्यू इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर हैं, ने कहा, बायोलॉजिक्स सूजन की जड़ को पूरी तरह नहीं खत्म करती हैं. इसलिए बीमारी को कंट्रोल में रखने के लिए इलाज को जारी रखना जरूरी हो सकता है.
क्यों है यह चिंता की बात?
शोध में उपयोग की गई तकनीकों जैसे फ्लो साइटोमेट्री और सिंगल सेल सीक्वेंसिंग से यह बात सामने आई कि रक्त में मौजूद कुछ इम्यून कोशिकाएं बायोलॉजिक्स के प्रभाव से बच जाती हैं. इन कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण जब मरीज दवाएं लेना बंद करते हैं, तो उनके एयर-वे में फिर से सूजन शुरू हो जाती है, जिससे अस्थमा के लक्षण दोबारा उभर सकते हैं.
आगे की योजना क्या है?
शोधकर्ताओं की टीम अब उन मरीजों के रक्त और फेफड़ों के ऊतक के नमूनों का विश्लेषण करेगी, जो लंबे समय से बायोलॉजिक्स का उपयोग कर रहे हैं. इसका उद्देश्य यह जानना है कि इन दवाओं का शरीर पर लंबे समय तक क्या असर होता है और सूजन वाली कोशिकाएं किस तरह व्यवहार करती हैं.
-एजेंसी-Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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