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असम के बोडोलैंड में ब्रिटिश नस्ल के घरेलू सूअरों के साथ पोर्क की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य

भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बंगाल की खाड़ी के तटीय क्षेत्र में पोर्क फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए बंगाल की खाड़ी क्षेत्रीय विकास परिषद (बीटीआर) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बीटीआर के अध्यक्ष डॉ. सौमित्रा दास ने बताया कि बीटीआर ने डेनमार्क के साथ एक समझौता किया है। डेनमार्क के साथ समझौते के तहत डेनमार्क के विशेषज्ञ भारत आएंगे और भारत में पोर्क फार्मिंग के क्षेत्र में अपनी जानकारी साझा करेंगे। इसके अलावा, भारत से भी डेनमार्क के पोर्क फार्मों में प्रशिक्षण के लिए किसान भेजे जाएंगे।

डॉ. दास ने बताया कि बीटीआर को 1 लाख किलोग्राम पोर्क प्रतिदिन उत्पादन का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि यह लक्ष्य पूरा करने में बीटीआर को छह से सात साल का समय लगेगा। उन्होंने बताया कि अफ्रीकी सूअर रोग एक बड़ी समस्या है, लेकिनafortunately, यह समस्या बीटीआर के कोर क्षेत्रों में किसानों के खेतों को प्रभावित नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि इसका कारण यह है कि हम बायोसिक्योरिटी का पालन कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सरकार बड़े समुदाय आधारित फार्मों को बढ़ावा दे रही है, जिसमें 300 से 1,000 के बीच फैट्टन पिग्स होंगे। उन्होंने बताया कि एक लवी पिग को छह महीने की उम्र में लगभग 100 किलोग्राम का वजन होता है, अगर उचित वैज्ञानिक प्रबंधन का पालन किया जाए। उन्होंने बताया कि हम पीछे के खेती से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं और बड़े फार्मों की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसका कारण यह है कि बायोसिक्योरिटी का मापदंड फार्म के आकार के आधार पर नहीं बल्कि फार्म के आकार से स्वतंत्र है। उन्होंने बताया कि किसानों को भी अच्छे पशु पालन के तरीकों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

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