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Appendix cancer is increasing rapidly among millennials get tested immediately if you see this 1 symptom | एक्सपर्ट भी नहीं जानते क्यों? 1980-1996 में पैदा हुए लोगों में तेजी से बढ़ रहा अपेंडिक्स कैंसर, इस 1 लक्षण के दिखते कराएं जांच



कैंसर जानलेवा बीमारी है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है या फैल सकता है. जहां कुछ अंगों में होने वाले कैंसर बहुत कॉमन हैं, वहीं, कुछ रेयर भी हैं. जिसके मामले बहुत कम आते हैं. ऐसे में कैंसर के इलाज के विकल्प भी बहुत सीमित होते हैं. इसमें अपेंडिक्स का कैंसर भी शामिल है. यह कैंसर लाखों लोगों में से किसी 1 या 2 लोगों को ही होता था. लेकिन अब इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि अपेंडिक्स कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, खासकर उन लोगों में जो 1980 के दशक में पैदा हुए हैं. अमेरिका की वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि 35 से 45 साल की उम्र के मिलेनियल्स में यह कैंसर पहले की पीढ़ियों के मुकाबले चार गुना ज्यादा देखने को मिल रहा है.
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44 साल के डेटा पर आधारित स्टडी
यह शोध 1975 से 2019 तक के अमेरिकी कैंसर डेटा पर आधारित है और इसमें साफ रूप से देखा गया कि 1980 से 1990 के बीच जन्मे लोगों में अपेंडिक्स कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, इसका कारण पूरी तरह साफ नहीं है, लेकिन बदलती जीवनशैली, खानपान. पर्यावरणीय कारक और आंतों के बैक्टीरिया में बदलाव इसकी वजह हो सकते हैं. इसके अलावा मोटापा, फैमिली हिस्ट्री और अन्य बीमारियां भी इसके जोखिम को बढ़ा सकती हैं.
क्या है अपेंडिक्स कैंसर और इसके लक्षण?
अपेंडिक्स कैंसर पेट के निचले दाएं हिस्से में मौजूद एक छोटी सा अंग अपेंडिक्स में होता है. इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके लक्षण आम बीमारियों जैसे पेट दर्द, मिचली या पेट की आदतों में बदलाव की तरह लगते हैं, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है.
इस एक संकेत को न करें इग्नोर
स्टडी प्रमुख डॉक्टर एड्रियाना होलोवाटीज कहती हैं कि अगर 50 वर्ष से कम उम्र के किसी व्यक्ति को लगातार हल्का लेकिन बना रहने वाला पेट दर्द हो, खासकर पेट के निचले दाएं हिस्से में तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर समय रहते पहचान हो जाए, तो यह कैंसर सर्जरी से ठीक किया जा सकता है.
कैसे करें बचाव?
विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ सामान्य आदतों में बदलाव कर कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है. इसमें संतुलित वजन बनाए रखना, रोज व्यायाम करना, धूम्रपान और अत्यधिक शराब से परहेज, हानिकारक रसायनों और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव, एचपीवी और हेपेटाइटिस बी जैसे वायरस का टीकाकरण और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शामिल है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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