रिपोर्ट: अभिषेक जायसवालवाराणसी: भोले की नगरी काशी (Kashi) में माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है. काशी में माता अन्नपूर्णा (Annapurna Temple) की कृपा से ही कोई भूखा नहीं सोता. उसी मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने का खास दिन शुरू होने वाले हैं .अगहन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 13 नवंबर से मां अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय महाव्रत की शुरुआत हो रही है. माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय इस अनुष्ठान में जो भी भक्त उनकी पूजा, आराधना और व्रत करता है ऐसी मान्यता है कि उसे कभी भी धन, ऐश्वर्य और अन्न की कमी नहीं होती है.
स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि 17 दिन व्रत रखने के साथ पहले दिन 17 गांठ के धागे की पूजा के बाद उसे धारण किया जाता है. महिलाएं इसे बाएं हाथ में और पुरूष इसे दाएं हाथ के बाजू पर बांधते हैं. फिर उसके बाद माता अन्नपूर्णा का दर्शन, पूजन करते है उसके बाद मंदिर में ही कथा सुनते हैं. इस व्रत के दौरान पूरे 17 दिनों तक अन्न का सेवन नहीं किया जाता है. दिन में केवल एक समय बिना नमक के फलाहार का सेवन कर इस व्रत को रखते हैं.भगवान शंकर ने मांगी थी भिक्षाऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त इस 17 दिवसीय महाव्रत को करता है माता अन्नपूर्णा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इसके साथ ही ऐसे भक्तों के घर कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती. बता दें कि भगवान शंकर ने भी माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थीं. माता अन्नपूर्णा के भी भगवान शंकर को आशीर्वाद दिया था कि उनके प्रिय नगरी काशी में कोई भी भूखा नहीं सोएगा.
ऐसे करें व्रत की शुरुआतस्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि 17 दिवसीय इस व्रत के शुरू करने से पहले श्रद्धालुओं को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए. उसके बाद माता अन्नपूर्णा का ध्यान करके उनके नाम से पूजा स्थान पर अखण्ड दीप जलाकर इस महाव्रत की शुरुआत करनी चाहिए.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Hindu Temple, Kashi Temple, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : November 13, 2022, 16:25 IST
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