अनाजों में ये सबसे ताकतवर, बुढ़ापा आने ही नहीं देगा, किसानों के लिए गड़ा खजाना
सहारनपुर. पीले दाने वाला भुट्टा तो हर किसी ने देखा होगा, लेकिन एक ऐसा भुट्टा है जो पीले दाने वाले भुट्टे से काफी अलग है। इसके दाने लाल रंग के होते हैं और इसका टेस्ट बड़ा ही लाजवाब है। यह भुट्टा मध्य प्रदेश में लगाया जाता है और यह वहीं की विकसित प्रजाति है।
जानकारों के मुताबिक, इस भुट्टे में पाया जाने वाला एंथोसायनिन फायटोकेमिकल तत्व एंटी एजिंग होता है, जो बुढ़ापे को जल्दी आने से भी रोकता है। यह भुट्टा स्वीट कार्न है, जिसे कच्चा खाने पर भी इसके दाने मीठे लगते हैं। इस समय अनाजों में अलग-अलग तत्व मिलाकर फोर्टिफाइड आटा बनाया जा रहा है। इस मक्के की खास बात यह भी है कि ये अनुवांशिक रूप से फोर्टिफाइड है। गुणों के साथ यह दिखने में आकर्षक है।
इस मक्का में एंथोसायनिन फायटोकेमिकल पाया जाता है, जो कैंसर सहित दूसरी बीमारियों से लड़ने में मददगार है। ये तत्व मल्टीपरपज होता है, जो बुढ़ापा जल्द नहीं आने देता है। मक्के की यह नई किस्म हृदय और लीवर के लिए भी फायदेमंद है। इसमें हाई कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने का गुण है।
सहारनपुर के रहने वाले किसान संजय सैनी ने इस भुट्टे को बतौर ट्रायल लगाया था। ट्रायल सफल रहा है, अब वह बड़े क्षेत्रफल में इसकी खेती करने जा रहे हैं। इसकी फसल 100 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसका औसत उत्पादन 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। पौधे की ऊंचाई 8-10 फीट होती है। इसमें कीड़े भी कम लगते हैं।
जो लोग मल्टी ग्रेन खाना पसंद करते हैं, वे इस मक्का को दूसरे अनाज में मिलाकर खा सकते हैं। बेबी फूड और मिड-डे मील के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। किसान संजय सैनी लोकल 18 से कहते हैं कि हम इसे मध्य प्रदेश से लेकर आए हैं। हम भुट्टे की 10 वैरायटी लेकर आये थे, जिसमें 5 वैरायटी यहां उगाई है। बहुत अच्छे रिजल्ट दिखाई दिए। पौधा बहुत अच्छा ग्रोथ कर रहा है। बाउंड्री के अंदर ट्रायल किया। खुले खेत में और अच्छे रिजल्ट आएंगे।