Uttar Pradesh

Allahabad University: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों का आन्दोलन जारी, आमरण अनशन पर बैठे छात्र



प्रयागराज. Allahabad University Fee Hike Protest: पूर्व का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में चार गुना फीस वृद्धि को लेकर संग्राम जारी है. फीस वृद्धि के खिलाफ छात्र पिछले 16 दिनों से आंदोलित हैं. फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन के 15वें दिन मंगलवार को सामूहिक रूप से छात्रों ने आत्मदाह की कोशिश की थी. हालांकि पहले से मुस्तैद पुलिस कर्मियों ने छात्रों की कोशिश को नाकाम कर दिया था. लेकिन बुधवार से एक बार फिर से 5 छात्र यूनियन हाल के बाहर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं.
छात्रों ने बढ़ी हुई फीस वापस न लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है. छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया है. आंदोलित छात्रों का कहना है कि फीस वृद्धि किए जाने से छात्र उच्च शिक्षा से ग्रहण नहीं कर पाएंगे. आंदोलित छात्रों ने कहा है कि जब तक फीस बढ़ी हुई फीस वापस नहीं होगी तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा. वहीं अनशन पर बैठे छात्रों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम भी पहुंच रही है.
गौरतलब है कि इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 31 अगस्त को कार्य परिषद की बैठक बुलाकर रेगुलर कोर्स की फीस चार गुना तक बढ़ा दी थी. इसके साथ ही पीएचडी की फीस 15 गुना बढ़ा दी गई थी. इसके विरोध में यूनिवर्सिटी के छात्र लगातार आंदोलन कर रहे हैं. छात्रों ने 5 सितंबर से आमरण अनशन शुरू कर दिया था. आमरण अनशन पर बैठे कई छात्रों की हालत अब तक बिगड़ चुकी है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है.
छात्रों का कहना है इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए आने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स मध्यमवर्गीय व किसान परिवार से आते हैं. ऐसे में चार गुना बढ़ी हुई फीस को वह नहीं भर पाएंगे. यूनिवर्सिटी प्रशासन को बढ़ी हुई फीस वापस लेना चाहिए. छात्रों की दलील है कि किसी भी दूसरी यूनिवर्सिटी की फीस में एक साथ चार गुना की बढ़ोतरी नहीं की गई है.
दूसरी तरफ इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी इस मामले में पूरी तरह संवेदनहीन बना हुआ है. उसने फीस बढ़ोतरी से पहले छात्रों से कोई संवाद नहीं किया था. छात्रों को कतई भरोसे में नहीं लिया गया था. यूनिवर्सिटी प्रशासन की दलील है कि उसने ट्यूशन फीस 100 साल के बाद बढ़ाई है. ऐसा करना उसकी मजबूरी थी. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने बचाव में यह भी कहा है कि मौजूदा छात्रों से बढ़ी हुई फीस नहीं ली जाएगी, इसलिए विरोध का कोई औचित्य नहीं है. छात्रों के लगातार हंगामे और आंदोलन के चलते यूनिवर्सिटी ने पोस्टग्रेजुएट क्लासेज में एडमिशन की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी है.
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