Ajab Gajab : UP में यहां पॉकेटमार भी ईमानदार, चोरी के बाद निभाते रिश्तेदारी, सॉरी बोलकर अपनों का माल लौटा आते उनके घर

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बलिया. बहुत प्रचलित और पुरानी कहावत है कि “एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी”, लेकिन बागी बलिया में यह कहावत बदलकर “एक तो चोरी, उसमें भी ईमानदारी” बन जाती है. सुनने में आपको अजीब जरूर लगेगा, लेकिन यह कोई मजाक नहीं बल्कि, हकीकत है. यहां के पॉकेटमारों का भी अपना एक अलग इतिहास रहा है. यहां के पॉकेटमार भी “भाईचारा” को बखूबी निभाते थे. यहां के चोरों को जानकारी मिलते ही पूरे सम्मान के साथ सारा सामान वापस लौटा देते थे, अगर वो किसी अपने का होता.

प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय कहते हैं कि बलिया के पॉकेटमारों का अजीबोगरीब किस्सा आज भी चर्चित है. पुराने जमाने में अगर किसी पॉकेटमार को यह मालूम पड़ जाए कि पीड़ित अपने जिला यानी बलिया का रहने वाला है, तो वह खुद पहुंचकर चोरी का सामान लौटाते थे. अगर पॉकेटमारों से कुछ पैसा खर्चा हो गया हो, तो बाद में इंतजाम करके देने का भी आश्वासन देते.

आइये इससे जुड़ी 4 प्रमुख घटनाओं को जानते हैं.

01:- पुराने समय में जिले के बसंतपुर के एक बाबू साहब का ₹1,000 चोरी हो गया. उस समय एक हजार रुपये काफी होता था. पता चला कि बाबू बलिया के ही हैं. फिर क्या था, शाम होते ही बाबू साहब को पैसे वापस कर दिए, ₹4 कम थे, जो साथियों ने दारू पी ली थी. उसको भी लौटाने का आश्वासन दिया.

02:- एक बार की बात है, रतसर के बाबू सहजानंद सिंह और राम अनंत पांडेय अयोध्या स्नान करने गए थे, अचानक इनकी अटैची स्टेशन से चोरी हो गई. लेकिन वहां इनको एक पुराना पॉकेटमार “गड़ेरिया” मिल गया, जो इनको जानता था. घटना की जानकारी होते ही इसने अटैची लौटाई और खूब आदर सत्कार किया.

03:- जिले से लगभग 1 KM दूर बहेरी निवासी एक मुस्लिम युवक के मुकदमे पर बहस करने के लिए वकील साहब ने पैसे मांगे. वकील सूरज लाल को फीस देने के लिए उसने उनकी ही नई नवेली साइकिल चुराकर बेच दिया और ₹400 लाकर वकील साहब को दे दिया. शाम के समय जब वकील साहब साइकिल खोजने लगे, तो उसी पॉकेटमार ने बताया कि आपकी साइकिल बेचकर आपको फीस दिया हूं, क्योंकि बगैर फीस आप बहस नहीं करते. पैसे लेकर वहां चले जाइए, हमारे बारे में बता दीजिएगा साइकिल मिल जाएगी.

04:- बहुत पहले जिले के सीनियर वकील बाबू कामेश्वर लाल श्रीवास्तव और हरिहर प्रसाद उर्फ मदन जी बाहर घूम रहे थे कि अचानक किसी ने पर्स मार लिया. यह लोग जोर-जोर से बोल रहे हैं कि अरे हम बलिया के हैं. इसकी जानकारी होते ही पॉकेटमारों ने सबकुछ वापस कर दिया. पॉकेटमारों ने कहा कि वह जिले के लोगों का सामान नहीं चुराना चाहते हैं. अगर गलती से चुरा लें, तो जानकारी मिलने पर वापस कर दिया जाता है.

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