अवाम का सच: उत्तर प्रदेश के एक किसान ने वर्मी कंपोस्ट बनाकर खेती में नई मिसाल पेश की है
आजकल किसान अपनी पारंपरिक खेती के बजाय ऑर्गेनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को लाभ मिल रहा है, बल्कि किसानों को भी अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है. ऑर्गेनिक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है, पानी की बचत होती है और कीटनाशकों के उपयोग में कमी आती है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एक किसान ने वर्मी कंपोस्ट बनाकर खेती में नई मिसाल पेश की है. वर्मी कंपोस्ट यानी कि केंचुओं की मदद से बनाया गया जैविक खाद, जो खेतों की मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और फसलों की पैदावार भी बढ़ाता है. इस किसान का मानना है कि अगर किसान चाहे तो घर पर भी आसानी से वर्मी कंपोस्ट बना सकता है और रासायनिक खाद पर खर्चा बचा सकता है.
लोकल 18 से बातचीत के दौरान प्रगतिशील किसान सूर्य प्रकाश शुक्ला बताते हैं कि सबसे पहले एक गड्ढा या टब चुनें, जिसमें वर्मी कंपोस्ट तैयार करना है. इसमें सबसे नीचे सूखी पत्तियां, भूसा या नारियल का छिलका बिछा दें. इसके ऊपर गोबर, सब्जियों के छिलके, हरी पत्तियां और किचन वेस्ट डालें, अब इसमें केंचुए (आम तौर पर आइजीनिया फेटिडा प्रजाति) डाल दिए जाते हैं, पूरे गड्ढे या टब को बोरी या गीले कपड़े से ढक दिया जाता है ताकि नमी बनी रहे. हर कुछ दिन पर हल्का पानी छिड़ककर नमी बनाए रखें. सूर्य प्रकाश के अनुसार, कई किसान वर्मी कंपोस्ट खाद की मांग करते रहे हैं. इसलिए मेरे मन में विचार आया कि क्यों न इसका प्लांट ही लगा लिया जाए. वर्मी कंपोस्ट से उन्हें सालाना लगभग 6 से 7 लाख का टर्नओवर होता है. उनका उत्पाद महाशक्ति जैविक खाद के नाम से मार्केट में बिकता है. सूर्य शुक्ला खेती के अलावा वर्मी कंपोस्ट का साइड बिजनेस करते हैं. वह कहते हैं कि उन्हें इस खाद की जानकारी भारतीय एग्रो इंडस्ट्रीज फाउंडेशन (Baif) से मिली. इसके बाद उन्होंने दिल्ली और कोलकाता समेत कई जगहों पर जाकर ट्रेनिंग ली. इसके बाद वर्मी कंपोस्ट का काम शुरू किया.
कंपोस्ट कैसे करें तैयार: सूर्य शुक्ला के अनुसार, गोबर को उठाकर वहां डालें जहां वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाता है. इसके बाद उसमें पानी डालते हैं. पानी डालने के बाद उसमें केंचुआ डालते हैं. ये वर्म (केंचुआ) ऑस्ट्रेलियाई केंचुआ होता है, जिसे आइसीनिया एन्ड्रेई (लाल केंचुआ) भी कहा जाता है. रासायनिक खाद और इसमें अंतर: सूर्य प्रकाश शुक्ला कहते हैं कि रासायनिक खाद से पर्यावरण को नुकसान होता है और खेत में उर्वरक शक्ति धीरे-धीरे कम हो जाती है. जबकि वर्मी कंपोस्ट से किसी भी प्रकार से कोई नुकसान नहीं होता है. वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग से मृदा की उर्वरक शक्ति अच्छी बनी रहती है.