आगरा का पेठा देशभर में ही नहीं बल्कि विदेशों तक मशहूर है। इस पेठे का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है। आगरा की पेठा नगरी में यथार्थ अग्रवाल के प्राचीन पेठा सहित 56 प्रकार के पेठे बनते हैं। जिनमें रॉयल पेठा सबसे कठिन और महंगा है।
आगरा को पेठा नगरी भी कहा जाता है। पेठे का स्वाद आगरा ही नहीं बल्कि देश विदेशों में चखा जाता है। आगरा आने वाला व्यक्ति ताजमहल तो देखता ही है लेकिन यहां का मशहूर पेठा जरूर खरीदता है। पेठे को आगरा में खास तौर पर तैयार किया जाता है। आगरा में करीब 56 प्रकार का पेठा बनाया जाता है। प्राचीन पेठा व्यवसाई ने कहा कि पेठे को बनाने के लिए अलग-अलग विधि का इस्तेमाल किया जाता है। पेठे को मीठे सफ़ेद कद्दू से बनाया जाता है। पेठा फल को सबसे पहले अच्छे से धो कर उसे उबाला जाता है। उसके बाद उसे जिस प्रकार का पेठा है, उस हिसाब से उसकी कटिंग की जाती है। व्यवसाई ने कहा कि सभी पेठे की विधि अलग है और उसी हिसाब से उसकी कटिंग व फिलिंग की जाती है।
पेठा व्यापारी ने कहा कि पेठा बनाने वाले स्थान को साफ और स्वच्छ रखा जाता है। बर्तनों को धोकर उसमें पेठा बनाया जाता है। आगरा में पान पेठा को बनाने के लिए परत को निकाला जाता है। उसके बाद उसके अंदर गुलकंद भरा जाता है। चॉकलेट पेठा में पेठे के ऊपर चॉकलेट पेस्ट लगाया जाता है। इसी तरह से कई प्रकार के पेठों को बनाकर तैयार किया जाता है। सबसे आसान सादा पेठा बनाना होता है। सादा पेठा सबसे ज्यादा दिनों तक भी चलता है। यह आसानी से खराब नहीं होता है।
पेठे को मीठा बनाने के लिए शुद्ध चासनी में डाला जाता है। प्राचीन पेठा के मालिक यथार्थ अग्रवाल ने बताया कि पेठा बनाने से पहले उस फल को अच्छे से धोया जाता है। फल को धोने के बाद उसे छिला जाता है। छिलने के बाद अंदर का बीज निकाल दिया जाता है। उन्होंने बताया कि फिर जो पेठा बनाना है उस प्रकार की कटिंग की जाती है। कटिंग के बाद उसे चासनी में डाला जाता है। चासनी के बाद उसे बाहर निकाल कर सूखा दिया जाता है। चासनी से ही पेठे में मिठास आती है। चासनी को शुद्ध पानी में चीनी से बना कर तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा कि पेठा बनाने वाले फल को सफ़ेद कद्दू और कुम्हड़ा फल भी कहते हैं।
सबसे कठिन रॉयल पेठा है बनाना। प्राचीन पेठा के ऑनर यथार्थ अग्रवाल ने कहा कि सबसे कठिन पेठा रॉयल पेठा बनाना है। उन्होंने बताया कि रॉयल पेठा के अंदर का मसाला अलग तरह से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए पेठे फल को बहुत पतला पतला छिला जाता है। पेठा पतला छिलना बहुत कठिन होता है। उन्होंने बताया कभी-कभी यह लेयर टूट भी जाती है जिससे नुकसान झेलना पड़ता है। व्यापारी ने कहा कि यह रॉयल पेठा सबसे महंगा भी होता है और बनाने में सबसे कठिन होता है।
आगरा आने वाले लोगों को पसंद आ रहा है पेठा। यथार्थ अग्रवाल ने कहा कि आगरा आने वाले लोग आर्डर के हिसाब से पेठा खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपनी अपनी पसंद का पेठा खरीदते हैं। सादा पेठा और अंगूरी पेठा लोग ज्यादा लेना पसंद करते हैं। यह दोनों पेठा लम्बे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है। भारत के ही नहीं विदेश के लोग भी आगरा का पेठा खाने के शौकीन हैं। आगरा आने वाले विदेशी आगरा का पेठा भी अपने साथ पैक करा कर ले जाते हैं।