Age Related Hearing Loss: उम्र के साथ-साथ शरीर के कई हिस्से धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगते हैं. इनमें काम भी आता है. बुढ़ापे के साथ-साथ सुनने की क्षमता कम हो या बहरापन जैसी स्थिति आ जाती है. हालांकि ये एक बार में पूरा बहरापन नहीं होता, धीरे-धीरे ये समस्या शुरू होती है, जिसके कारण लोग इसे अक्सर इग्नोर कर देते हैं. हालांकि समय पर इलाज और केयर से इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है. इस खबर में हम आपको इसके कारण और इलाज के तरीके बताएंगे.
बुढ़ापे में हियरिंग लॉस होने का कारणबढ़ती उम्र के कारण कान के अंदर की सेंसरी सेल्स कमजोर हो जाती है, जिससे आवाज पहचानने की क्षमता कमजोर हो जाती है. वहीं लंबे समय तक तेज म्यूजिक, मशीनरी या ट्रैफिक की आवाज के कारण भी कान की नाजुक झिल्लियां और नसें डैमेज हो जाती है. इसके कारण भी सुनाई नहीं देता. इसके अलावा डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉइड जैसी बीमारियां और कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट भी सुनने की झमता कम कर देते हैं. वहीं कई बार कान में वैक्स जमने के कारण भी आवाज सुनाई नहीं देता है.
बुढ़ापे में हियरिंग लॉस के लक्षणबुढ़ापे में हियरिंग लॉस होने के कई लक्षण दिख सकते हैं. उम्र बढ़ने के साथ-साथ धीरे-धीरे आवाज सुनाई नहीं देता है. कानों में हमेशा गुनगुनाहट या सीटी की आवाज आती है. लोगों को बार-बार बातें दोहराने को बोलना पड़ता है. भीड़ या बैकग्राउंड नॉइज होने पर सुनने में तकलीफ होती है. इसके साथ-साथ टीवी या रेडियो की आवाज जरूरत से ज्यादा तेज रखकर सुनते हैं.
बुढ़ापे में हियरिंग लॉस का जांचअगर आपको ऐसे लक्षण दिख रहे हैं, तो आपको इसकी जांच करवाना बेहद जरूरी है. इसके लिए आप ईएनटी स्पेशलिस्ट से हियरिंग टेस्ट करवा सकते हैं, जिसमें अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाजें सुनाई जाती हैं. इसके अलावा आप कान के अंदर के हिस्से की जांच और ब्लड टेस्ट भी करवा सकते हैं.
बुढ़ापे में हियरिंग लॉस का इलाजइस उम्र में हियरिंग लॉस होने पर आप कान की मशीन ले सकते हैं. इसके अलावा अगर आपको डॉक्टर की सलाह से दवाई या सर्जरी भी करवा सकते हैं. इसके साथ-साथ कुछ लाइफस्टाइल बदलवा भी करना जरूरी है. तेज आवाज से दूरी बना लें, रोजाना कान की जांच और हेल्दी डाइट फॉलो करना शुरू कर दें.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.