अंजू प्रजापति/रामपुर: भारत एक कृषि प्रधान देश है. आज भी अधिकांश लोग किसी न किसी रूप में कृषि पर निर्भर हैं. अगर आप भी खेती से अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं तो मालाबार नीम की खेती करके लाखों नहीं बल्कि करोड़ों कमा सकते हैं. इसी तरह रामपुर के किसान ने नवाचार करते हुए मालाबार नीम की खेती कर कमाल कर दिया है. किसान का कहना है कि यह खेती बहुत कम समय में तैयार होती है और अधिक मुनाफा देती है.

शहजाद नगर थाना क्षेत्र के गांव ककरौआ निवासी रमेश कुमार बताते हैं कि मालाबार नीम को मेलिया डबिया भी कहते हैं और इसकी खेती दक्षिण भारत में अधिक की जाती है. मालाबार नीम की खेती एक अच्छी खेती है. जिससे किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है.

इससे 5 हजार पेड़ तैयार होगा

रामपुर में यह खेती केवल रमेश कुमार कर रहे हैं. तमिलनाडु के कोयंबटूर कृषि विज्ञान केंद्र से 25 किलो बीज लेकर आये हैं. जिसमें इन्होंने 5 किलों बीज की नर्सरी डाली है. इससे 5 हजार पेड़ तैयार होंगे. यह नर्सरी 1 से 2 महीने में पूरी तरह से तैयार हो जाएगी. 4 एकड़ जमीन में मालाबार नीम के 5000 पेड़ लगाए जा सकते हैं.

कमाया जाता है अच्छा मुनाफा

मालाबार नीम 4 से 5 साल में तैयार हो जाता है. बहुत तेजी से ग्रो करने वाला पेड़ है. जिससे बहुत अधिक मुनाफा किसान कमा सकता है. मालाबार नीम की लकड़ी 8 से 9 सौ रुपये प्रति क्विंटल जाती है और एक पेड़ 4 से 5 क्विंटल का होता है. इस हिसाब से एक पेड़ से 4 से 5 हजार रुपये का मुनाफा कमाया जाता है.

सिर्फ एक बार डाला जाता है पानी

मालाबार नीम की खासियत है कि ये किसी भी प्रकार की मिट्टी में बड़ी ही आसानी से लगाया जा सकता है. इसके लिए किसी स्पेशल मिट्टी की जरूरत नहीं होती. चाहे दोमट मिट्टी हो, चिकनी मिट्टी या रेतीली मिट्टी हो यह हर प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है. इसमें पानी बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है. गर्मियों के मौसम में महीने में एक बार पानी डाला जाता है और बरसात और सर्दी में तो पानी की कोई आवश्यकता ही नहीं होती है.

लकड़ी का सबसे अधिक इस्तेमाल

मालाबार नीम की खेती करने से किसानों को बहुत जल्दी इनकम मिलती है. पॉपलर के मुकाबले मालाबार नीम की लकड़ी में अधिक बजन होता है और यह पानी भी बहुत कम लेता है. इसकी लकड़ी का सबसे अधिक इस्तेमाल प्लाईबोर्ड बनाने में आता है. इसके अलावा लकड़ी वाली माचिस , लकड़ी के पैकिंग बॉक्स व कई तरह का फर्नीचर आदि.
.Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : March 17, 2024, 17:12 IST



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