धान का भंडारण करते समय स्थान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. स्थान सूखा होना चाहिए नमी वाला नहीं होना चाहिए. धान के अंदर बुझा हुआ चूना जिसकी छोटी-छोटी पोटली बनाकर उसके बैग के बीच में रख दे जिससे कि बैग के अंदर थोड़ी बहुत भी जो भी नमी होगी बुझा हुआ चूना उसको अवशोषित कर लेगा. सहारनपुर में धान की कटाई पूरी हो चुकी है और अब किसान धान को सालभर सुरक्षित रखने की तैयारी में जुट गए हैं. धान का भंडारण अगर सही तरीके से न किया जाए तो नमी और कीट इसकी गुणवत्ता को बर्बाद कर देते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार धान को छाया में सुखाना, सही तरीके से परीक्षण करना और भंडारण में बुझा हुआ चूना इस्तेमाल करना धान को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का बेहतरीन तरीका है.
धान में कीट लगने का प्रमुख कारण नमी है. धान कटाई के तुरंत बाद इसके दानों में कुछ मात्रा में नमी रह जाती है. यही नमी आगे चलकर कीटों को धान में पनपने का मौका देती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि धान को धूप में नहीं बल्कि छाया में सुखाना चाहिए, क्योंकि तेज धूप इसके दानों को नुकसान पहुंचा सकती है. जब धान ठीक से सूख जाए, तो इसका परीक्षण हाथ से दाना तोड़कर किया जाता है. दाने को तोड़ते समय यदि कट की आवाज आती है तो समझें कि धान में नमी लगभग समाप्त हो चुकी है. धान में अधिकतर सुरसुरी और सुंडी जैसे कीट लगते हैं, जो धीरे-धीरे दाने को अंदर से खोखला कर देते हैं और अंततः उसे पाउडर में बदल देते हैं.
सही भंडारण स्थल का चुनाव बेहद जरूरी है. धान को स्टॉक करते समय जगह का चयन सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है. भंडारण स्थान हमेशा पूरी तरह सूखा होना चाहिए. जहां हल्की भी नमी न हो, क्योंकि नमी की मौजूदगी कीट वृद्धि को बढ़ावा देती है. इसी के साथ, धान रखने वाले प्रत्येक बैग में बुझा हुआ चूना की छोटी-छोटी पोटलियां रखना बेहद उपयोगी माना जाता है. यह चूना बैग में बची हुई नमी को सोख लेता है और धान को पूरी तरह सुरक्षित रखता है. नमी खत्म होने पर धान में किसी भी प्रकार का कीट लगने की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है.
विशेषज्ञों की राय है कि बुझा हुआ चूना बनता है सुरक्षा कवच. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी और प्रोफेसर डॉक्टर आई. के. कुशवाहा के अनुसार धान का दाना एक छिलके से ढका होता है, जिसके अंदर नमी तेजी से पनपती है. यदि इसे गलत तरीके से सुखाया या खराब स्थान पर संग्रहित किया जाए, तो यह शीघ्र खराब हो जाता है. उन्होंने बताया कि धान को हमेशा छाया में सुखाना चाहिए. धूप में सुखाने से इसकी संरचना प्रभावित होती है. सुखाने के बाद यदि परीक्षण के दौरान कट की साफ आवाज आती है तो यह संकेत है कि नमी न्यूनतम है और धान सुरक्षित रूप से भंडारित किया जा सकता है. डॉ. कुशवाहा के अनुसार भंडारण से पहले धान को अच्छी तरह साफ करना चाहिए. रोगग्रस्त दाने यदि स्वस्थ दानों के साथ मिल जाएं तो स्टॉक पूरा खराब हो सकता है. इसलिए स्टॉक करते समय खराब दानों को अलग करना बेहद जरूरी है.
कीटों से सुरक्षा के लिए प्राकृतिक तरीका है धान में लगने वाले सुरसुरी और अन्य कीट नमी देखकर तेजी से सक्रिय हो जाते हैं. इसे रोकने के लिए बुझा हुआ चूना बहुत कारगर तरीका है. चूने की पोटलियां बैग में रख देने से दानों में बची हल्की नमी भी समाप्त हो जाती है. सूखे धान में कोई कीट नहीं लगता, इसलिए किसानों को भंडारण से पहले तीन बातों का पालन करना चाहिए: दानों की पूरी तरह छाया में सुखाई, कट की आवाज द्वारा नमी का परीक्षण, और बैग के अंदर बुझा हुआ चूना रखना. अगर यह तीनों उपाय सही तरीके से किए जाएं तो धान सालभर नहीं बल्कि कई वर्षों तक खराब नहीं होता.
धान का सुरक्षित स्टॉक: किसान का भरोसा धान की सुखाई और भंडारण के नियमों का ध्यान रखे तो यह उसकी फसल को पूरी तरह सुरक्षित रख सकता है. नमी खत्म होने के बाद न तो कीट लगेंगे और न ही स्टॉक खराब होगा. सही प्रक्रिया अपनाने से किसान बिना चिंता के धान को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकता है.

