After age of 40 risk of these 5 diseases increases in women eyesight can also be lost | 40 के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है इन 5 बीमारियों को खतरा, जा सकती है आंखों की रोशनी भी

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After age of 40 risk of these 5 diseases increases in women eyesight can also be lost | 40 के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है इन 5 बीमारियों को खतरा, जा सकती है आंखों की रोशनी भी



उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई बदलाव आते हैं, और आंखों की सेहत भी इससे अछूती नहीं रहती. खासतौर पर 40 की उम्र पार करने के बाद कई महिलाओं को अचानक नजर से जुड़ी समस्याएं महसूस होने लगती हैं. इनमें धुंधला दिखना, आंखों में सूखापन, जलन, थकान और सूजन जैसी दिक्कतें आम है.
इस उम्र में हार्मोनल बदलाव खासतौर पर मेनोपॉज आंखों की नमी, लेंस की लचक और आंखों के अंदर दबाव को प्रभावित कर सकते हैं. इसके अलावा स्क्रीन टाइम का बढ़ना और प्रदूषण का असर भी आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में 40 के बाद महिलाओं की आंखों में कौन-कौन से बदलाव होते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है, यहां हम आपको बता रहे हैं. 
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प्रेस्बायोपिया 40 की उम्र के बाद यह सबसे आम बदलाव है, जिसमें पास की चीजें पढ़ने में परेशानी होने लगती है. लोग किताब या फोन को आंखों से दूर करके पढ़ने की कोशिश करते हैं. इसे प्रेस्बायोपिया कहा जाता है. इसे रीडिंग ग्लास या मल्टीफोकल लेंस की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है.
ड्राई आंखें
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्मोन कम होने लगते हैं, जिससे आंखों की नमी भी घटती है. आंखों में जलन, खुजली, या लगातार पानी आना – ये सभी सूखी आंखों के लक्षण हो सकते हैं. हल्के मामलों में आर्टिफिशियल टीयर ड्रॉप्स मदद कर सकते हैं, लेकिन बार-बार सूखी आंखें होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
मोतियाबिंद
हालांकि मोतियाबिंद आमतौर पर 60 की उम्र में अधिक देखने को मिलता है, लेकिन इसके शुरुआती लक्षण 40 की उम्र में भी शुरू हो सकते हैं. इसमें नजर धुंधली होना, रोशनी से चकाचौंध लगना या रंग फीके दिखना शामिल है. आजकल मोतियाबिंद की सर्जरी आसान और सुरक्षित हो गई है, इसलिए समय रहते पहचान जरूरी है.
ग्लूकोमा
ग्लूकोमा को “साइलेंट थीफ ऑफ साइट” कहा जाता है क्योंकि इसकी शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते. यह ऑप्टिक नर्व को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है. जिन महिलाओं को डायबिटीज है या परिवार में इसका इतिहास है, उन्हें नियमित रूप से आंखों का दबाव जांचवाना चाहिए.
मैक्युलर डिजनरेशन
इस बीमारी में आंखों का सेंटर विजन प्रभावित होती है, जिससे पढ़ना, चेहरों को पहचानना या ड्राइविंग करना मुश्किल हो जाता है. इसके शुरुआती लक्षण 40 की उम्र में दिख सकते हैं, खासकर अगर परिवार में यह रोग रहा हो. हरी पत्तेदार सब्जियों से भरपूर आहार और नियमित नेत्र जांच से इसके खतरे को कम किया जा सकता हैय
क्या करें इस उम्र में आंखों की देखभाल के लिए?
हर दो साल में आंखों की जांच करवाएं, संतुलित और पौष्टिक आहार लें, धूप में निकलते समय सनग्लासेस पहनें, स्क्रीन टाइम सीमित करें और हर 20 मिनट में आंखों को आराम दें, आंखों में जलन या धुंधलापन महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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