Uttar Pradesh

अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री मोदी आज ध्वजारोहण करेंगे, जिसमें 32 मिनट की शुभ घड़ी होगी।

अयोध्या राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराएंगे. यह ध्वजारोहण अभिजीत मुहूर्त में होगा, जो कि 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक का है. इस शुभ मुहूर्त को भगवान श्रीराम के जन्म नक्षत्र अभिजीत मुहूर्त से मेल खाता है. प्रधानमंत्री मोदी भी इसी अभिजीत मुहूर्त पर ध्वजा फहराएंगे.

इस अवसर पर हिंदू समाज की फिर से स्थापना हो रही है. गोरखपुर विश्व हिंदू परिषद के जॉइंट सेक्रेटरी सगुन श्रीवास्तव ने कहा, “ध्वजारोहण से आज पूरे हिंदू समाज की फिर से स्थापना हो रही है. हमारा ध्वज जितना ऊंचा लगाया जा रहा है, हमें उतना ही गर्व महसूस हो रहा है. आपको 500 साल के संघर्ष और लाखों बलिदानों के बारे में पता होगा. जब 22 जनवरी, 2024 को प्राण प्रतिष्ठा हुई, तो पूरी दुनिया में भारत का गौरव बढ़ा. हिंदू समाज का गौरव बढ़ा, और आज इसकी पूर्णता हो रही है. आज का दिन बिल्कुल ऐतिहासिक है. यह एक युग का ऐसा दिन है जो इस धरती पर दोबारा कभी नहीं आएगा और इसके लिए प्रधानमंत्री और हमारे मुख्यमंत्री की कोशिशें तारीफ के काबिल हैं. हम हिंदू धर्म के लोग, पूरे हिंदू समाज को ऊपर उठाने के लिए उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं. हम अपना आभार जताते हैं.”

इस अवसर पर इकबाल अंसारी, जो बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले के पूर्व वादी हैं, ने कहा, “आज पीएम मोदी द्वारा ध्वजारोहण होने जा रहा है ये बहुत ही अच्छी बात है और आज गौरव का दिन है. पूरे देश और दुनिया के लोग आज यहां पर आ रहे हैं. अयोध्या में खुशी की लहर है और सभी खुश हैं और हम भी खुश हैं. हम भी इस समारोह में जा रहे हैं. हम चाहते हैं कि देश में शांति होना चाहिए और आपस में भाई-चारा हो तथा हम यही संदेश देते हैं.”

राम मंदिर निर्माण में लगे कारीगर और पत्थर खदान मालिक अयोध्या पहुंचे हैं. राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा सभी संस्थाओं को आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने राम मंदिर निर्माण में योगदान दिया है. निर्माण में प्रयुक्त प्रसिद्ध बंसी पहाड़पुर पत्थर की खदानों के मालिक भी आज अयोध्या पहुंचे हैं. उन्होंने स्वयं को ‘अभिभूत और सौभाग्यशाली’ बताया है. खदान मालिकों के अनुसार, भगवान रामलला के मंदिर में लगाए गए बंसी पहाड़पुर के पत्थरों की आयु लगभग 2000 वर्ष मानी जाती है. मौसम और भूकंप के प्रभाव से यह पत्थर पूर्ण रूप से सुरक्षित रहते हैं, इसी कारण मंदिर की मजबूती और दीर्घायु सुनिश्चित होती है.

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