अखंड प्रताप सिंह/कानपुरःहर साल देश भर में हजारों नवजात बच्चों जोकम वजन के होते हैं या प्रीमेच्योर जन्म ले लेते हैं. उनकी जान चली जाती है. अब ऐसे बच्चों को सही इलाज और सही करे देने के लिए शोध होगा. ताकि इस मृत्यु दर में कमी लाई जा सके और नवजात बच्चों की ज्यादा से ज्यादा जान बचाई जा सके. इसके लिए विश्व स्तरीय शोध किया जाएगा. इसमें कई विश्व के हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन साथ आए हैं. इसके साथ ही कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब द्वारा कानपुर के जीएसबीएम मेडिकल कॉलेज को शोध करने के लिए चुना गया है.यहां पर एक वार्ड तैयार किया जाएगा. जहां पर इस पर शोध होगा कि किस प्रकार से एक यूनिवर्सल फीडिंग प्रोटोकॉल तैयार किया जाए. जो पूरे विश्व भर में लागू किया जा सके. जिससे ज्यादा से ज्यादा नवजात बच्चों की जान बचाई जा सके. इसमें सबसे ज्यादा फोकस कंगारू मदर केयर पर किया जाएगा, क्योंकि यह फार्मूला हो द्वारा प्रमाणित है और यह कई शोध में सामने भी आया है की बच्चों के लिए मां का प्यार और मां की नजदीकी यहां सबसे जरूरी होती है. इससे उसे संपूर्ण विकास में फायदा मिलता है.कंगारू मदर केयरइसके साथ ही रोगों से भी उसका बचाव होता है. यह होती है कंगारू मदर केयर हमारे बूढी दादी या नानी अक्सर कहां करते थे की मां को बच्चों के पास रखो क्योंकि मां के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे संरक्षित जगह मां की गोद होती है. कंगारू मदर केयर की बात करें तो जब बच्चे के सीने को मां के सीने से जोड़ कर रखा जाता है. ऐसे में बच्चे का समग्र विकास होता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. प्राय देखने को मिलता है कि नवजात बच्चों को मन से अलग करके इलाज के लिएNICU आईसीयू में भर्ती कर दिया जाता है.नवजात बच्चों की जान बचाई जा सकेअब इसमें बदलाव कर इसे मदर इनNICUकिया जाएगा. जिसमें मां बच्चों के साथ इस वर्ल्ड में रहेगी. जिससे बच्चे को इंटेंस केयर मिल सके और मां के पास रहकर बच्चा जल्द स्वस्थ भी हो सकेगा. इस शोध को कर रही शोधकर्ता आरती ने बताया कि यह शोध विश्व भर में यूनिवर्सल फीडिंग प्रोटोकॉल को बनाने के लिए किया जा रहा है. इसमें कंगारू मदर केयर के जरिए नवजात बच्चों की जान बचाई जा सके. इस पर कवायत की जा रही है. इसकी शुरुआत जीएसबीएम मेडिकल कॉलेज से की जा रही है. यहां पर इसके लिए एक डेडीकेटेड वार्ड बनाया जाएगा. जहां पर शोध किया जा सकेगा..FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 17:56 IST



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