गोरखपुर: गोरखपुर के मशहूर गीता प्रेस ने एक ऐतिहासिक पहल की है. अब तक हिंदी, अंग्रेज़ी और अन्य भारतीय भाषाओं में धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करने वाले गीता प्रेस ने अब नेपाली भाषा में भी बड़ी शुरुआत की है. सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है. गीता प्रेस अब तक नेपाली भाषा में 50 से ज़्यादा धार्मिक पुस्तकें छाप चुका है. इनमें रामचरितमानस, मत्स्यपुराण और लिंगपुराण जैसी बड़ी पुस्तकें शामिल हैं. इन पुस्तकों का औपचारिक विमोचन 12 जून को काठमांडू स्थित गीता प्रेस की शाखा के स्थापना दिवस पर किया जाएगा.
ये कार्यक्रम नेपाल के धार्मिक और साहित्यिक समुदाय के लिए खास होगा. नेपाल जैसे देश में जहां सनातन परंपरा गहरी जड़ें रखती है, वहां स्थानीय भाषा में ऐसे ग्रंथों की उपलब्धता आम लोगों और शोधकर्ताओं दोनों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी.
नेपाली में रामायण से लेकर गरुण पुराण तकगीता प्रेस के अधिकारियों के अनुसार, अब तक 50 से ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं, उनमें निष्कर्म पूजा प्रकाश, अध्यात्मरामायण, एकादशी महात्म्य, श्राद्ध प्रकाश, गरुण पुराण, असल बन और अन्य कई ग्रंथ शामिल हैं. अब नेपाली भाषा में इन ग्रंथों का अध्ययन करना आसान हो जाएगा. इससे खासतौर पर नेपाल के वो पाठक लाभान्वित होंगे, जो हिंदी नहीं जानते, लेकिन सनातन धर्म के ग्रंथों को पढ़ना चाहते हैं.
गीता प्रेस के प्रबंधक ने दी प्रतिक्रियाइस प्रकाशन कार्य को तेज़ गति से अंजाम देने के लिए गीता प्रेस ने नई प्रिंटिंग मशीनें लगाई हैं. इससे पुस्तकों का उत्पादन बहुत तेज़ी से हो रहा है. गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी ने बताया कि इन नई तकनीकों के इस्तेमाल से अब कम समय में अधिक किताबें तैयार की जा रही हैं. इससे न सिर्फ नेपाल बल्कि नेपाल के आसपास के पहाड़ी इलाकों में भी धार्मिक साहित्य पहुंचाया जा सकेगा.
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धर्म के साथ-साथ संस्कृति का सेतु भी बनेगायह पहल न केवल धार्मिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक सेतु का भी काम करेगी. एक तरफ जहां भारत में गीता प्रेस का धार्मिक साहित्य घर-घर तक पहुंचता है, वहीं अब नेपाल में भी इसकी पहुंच मज़बूत होगी. नेपाली भाषा में इन ग्रंथों की उपलब्धता से स्थानीय विद्वानों, विद्यार्थियों और आम जनता को धर्म और अध्यात्म को उनकी अपनी भाषा में समझने का मौका मिलेगा.
नेपाल में पहले भी रामायण और महाभारत जैसी कहानियों की पहुंच रही है, लेकिन अब उन्हें अधिक प्रमाणिक और व्यवस्थित रूप में पढ़ने का अवसर मिलेगा. इससे सनातन परंपरा की जड़ें और गहरी होंगी. गीता प्रेस का ये कदम सिर्फ किताबें छापने तक सीमित नहीं है, ये भारत-नेपाल के रिश्तों में एक नया आध्यात्मिक अध्याय जोड़ रहा है.