Uttar Pradesh

अब आंधी-तूफान की चिंता नहीं… गेहूं की ‘श्रीराम सुपर 303’ किस्म की करें खेती, कमाएं शानदार मुनाफा

गेहूं की ‘श्रीराम सुपर 303’ किस्म की करें खेती, कमाएं शानदार मुनाफा

गेहूं की ‘श्रीराम सुपर 303’ किस्म एक अच्छा विकल्प है, जो अपनी उच्च उत्पादन क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। यह किस्म अगेती और पछेती दोनों बुवाई के लिए उपयुक्त है, जिससे किसानों को अच्छी पैदावार और बेहतर बाज़ार भाव मिलता है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 75 से 80 क्विंटल तक अधिकतम पैदावार देने की क्षमता रखती है, जबकि बेहतर देखभाल करने पर प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल तक उत्पादन आसानी से ले सकते हैं।

श्रीराम सुपर 303 ब्राउन रस्ट और पत्तियों पर लगने वाले धब्बे जैसे प्रमुख रोगों के प्रति अत्यधिक सहनशील है, जिससे फसल को बार-बार महंगी दवाओं का छिड़काव से निजात मिलती है और उत्पादन का नुकसान कम होता है। इसके अलावा, यह झुलसा रोग के प्रति भी मध्यम प्रतिरोधी है। यह किस्म अगेती और पछेती दोनों तरह की बुवाई के लिए उपयुक्त है, जो मध्यम अवधि की किस्म है और बुवाई के लगभग 125 से 130 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

इस किस्म के दाने आकर्षक, सुनहरे, चमकदार और ठोस होते हैं, जिससे दानों का वजन अच्छा होता है और बाजार में इसका भाव अच्छा मिलता है। यह आटा बनाने और उच्च गुणवत्ता वाली मुलायम रोटी बनाने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है, जिसके कारण उपभोक्ताओं के बीच भी बाजार में इसकी मांग बनी रहती है।

श्रीराम सुपर 303 के पौधे की ऊंचाई मध्यम यानी लगभग 90 से 100 सेंटीमीटर होती है, जिसके तने और कल्ले मजबूत होते हैं, जिससे तेज हवा या आंधी चलने पर भी फसल के गिरने की समस्या कम होती है। प्रति पौधे में 15 से 20 तक मजबूत कल्ले आते हैं, जो उच्च उपज में सहायक होते हैं।

यह किस्म देश के कई प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों के लिए सफलतापूर्वक विकसित की गई है। इसकी मजबूत संरचना और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता इसे देश के अलग-अलग कृषि-जलवायु क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त बनाती है।

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