अंजली शर्मा/कन्नौज.कन्नौज में किसानों की पारंपरिक और प्रमुख फसल आलू ही है. ऐसे में यहां के किसान बड़े पैमाने पर आलू की फसल की पैदावार करते हैं. बीते कुछ समय से किसान लगातार आलू की फसल में घाटे में जा रहे हैं. ऐसे में कन्नौज के एक किसान ने बीते कई सालों से सीख लेकर आलू की जगह अब सब्जियों की तरफ अपना रुख मोड़ दिया और बीते कई साल से गोभी और पत्ता गोभी की फसल और उनके बीज का काम करने लगे. इससे किसान को उसकी लागत का दोगुने से ज्यादा हर साल फायदा भी होता है.

कन्नौज मुख्यालय के नसरापुर गांव के रहने वाले किसान रामदयाल बीते कई सालों से आलू की पारंपरिक खेती के बजाय गोभी और पत्ता गोभी की फसल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. जिससे उनको अपनी फसल की लागत मूल्य से दोगुने से ज्यादा फायदा होता है. इस वर्ष भले ही थोड़ा सा कम मुनाफा हुआ लेकिन फिर भी यह फसल उन्हें घाटा नहीं देके गई.

कैसे होती है बंद गोभी की खेतीरामदयाल बताते हैं कि यहां के किसान आलू और मक्का की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं लेकिन किसानों को इसके साथ-साथ इन सब्जियों की खेती भी करना चाहिए क्योंकि यह सब्जियां किसानों के लिए उनकी आय का स्रोत बढ़ाएंगी. हम पहले टमाटर करते हैं उसके बाद गोभी और पत्ता गोभी की फसल करते हैं. वही साथ में इसके पौध का भी काम करते हैं जिससे हमको अच्छा मुनाफा मिलता है. जब खेत में पौधे की रोपाई हो जाती है और पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए उसमें पानी दिया जाता है. नमी कम होने पर पौधे झुलस जाते हैं. ऐसे में पत्ता फूल के पौधों को पर्याप्त नमी में रखा जाता है. इसमें अधिक सिंचाई नहीं की जाती है बल्कि यह फसल कम पानी में आसानी तैयार हो जाती है. यह फसल लगभग 3 महीने में तैयार हो जाती है.

बेहतर उत्पादन के साथ बेहतर मुनाफा कमा रहेएक बीघा पत्ता गोभी और फूलगोभी की फसल करने में 10 हज़ार प्रति बीघा खर्च आ जाता है. वहीं जब इसके फायदे की बात की जाए तो इसकी लागत का डबल से ज्यादा फायदा मिल जाता है. प्रति बीघा करीब 25 से 30 हज़ार की फसल बिक जाती है.
.Tags: Farming, Local18FIRST PUBLISHED : December 7, 2023, 17:04 IST



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