Uttar Pradesh

दिवाली के बाद दो लाख दीपों से जगमग हुई धर्म नगरी चित्रकूट, जानें इसकी मान्यता और महत्व।

चित्रकूट में देव दीपावली का भव्य आयोजन, 21 हजार दीप प्रवाहित, एक लाख दीपक जलाए गए

चित्रकूट, उत्तर प्रदेश में शनिवार की शाम आस्था, श्रद्धा और रोशनी का संगम देखने को मिला। देव दीपावली के पावन अवसर पर मंदाकिनी नदी के तट पर भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया गया। भगवान श्रीराम की नगरी चित्रकूट का रामघाट दो लाख दीपों की रोशनी से ऐसा जगमगाया मानो स्वयं प्रभु श्रीराम का पुनः आगमन हो गया हो।

श्रीराम के जयघोष से गूंजा रामघाट। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्षों के वनवास में से 11 वर्ष 6 महीने का समय इसी पवित्र भूमि पर बिताया था। इसी वजह से चित्रकूट का हर पर्व खास महत्व रखता है। देव दीपावली के अवसर पर शनिवार शाम जैसे ही सूर्यास्त हुआ, वैसे ही पूरी मंदाकिनी तट दीपों की सुनहरी रोशनी से चमक उठा। भक्तों ने मां मंदाकिनी की महा आरती में हिस्सा लिया और जय श्रीराम के जयघोष से पूरा घाट गूंज उठा।

विदेशी पर्यटकों ने भी की आरती। नगर पालिका परिषद चित्रकूट धाम कर्वी की ओर से इस बार मंदाकिनी नदी में 21 हजार दीप प्रवाहित किए गए हैं। वही मध्य प्रदेश की ओर से एक लाख दीपक जला कर साथ ही पूरे रामघाट परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों, झालरों और फूलों से सजाया गया है। जिला प्रशासन और श्रद्धालुओं ने मिलकर आतिशबाजी कर पूरे वातावरण को दिव्य बना दिया। इस भव्य आयोजन को देखने के लिए न केवल देश के विभिन्न हिस्सों से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचे थे। विदेशी पर्यटकों ने भी मंदाकिनी तट पर दीप जलाकर इस आध्यात्मिक क्षण का अनुभव लिया है।

भक्तों की मनोकामनाएं होती है पूरी। चित्रकूट के जिलाधिकारी पुलकित गर्ग ने बताया कि यह मेरी चित्रकूट की पहली देव दीपावली है और इस बार पूरा घाट रोशनी से जगमगा रहा है। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि पर ऐसा भव्य आयोजन होना हम सभी के लिए गर्व का विषय है। प्रशासन ने पूरे आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं।

वहीं भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवनदास ने देव दीपावली के धार्मिक महत्व को बताते हुए कहा कि आज का दिन अत्यंत पवित्र है क्योंकि आज भगवान विष्णु जागृत अवस्था में आते हैं। इसी दिन से विवाह सहित सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। और माता लक्ष्मी भी आज के दिन विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं। भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि रामघाट की सीढ़ियों पर जलते दीपों का नजारा देखते ही बन रहा था। मंदाकिनी नदी की लहरों पर तैरते दीप, हवा में गूंजते भजन और आसमान में छाई आतिशबाजी सबने मिलकर चित्रकूट की देव दीपावली को अलौकिक बना दिया है।

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