आजमगढ़: लोकसभा चुनाव 2024 में आजमगढ़ सीट जीतने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी समाजवादी पार्टी ने अपनी-अपनी गोटियां सेट कर अपने प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है. भाजपा के सामने जीत दोहराने और सपा के सामने खोया जनाधार हासिल करने की चुनौती है. वहीं बसपा के सामने अपने ध्वस्त किले को खड़ा करने की चुनौती है. ऐसे में बसपा सुप्रीमों मायावती अपने पुराने सिपाहियों को मैदान में उतार कर अपने किले को खड़ा करने के सपने देख रही हैं. चर्चा हैं कि कभी संजय गांधी के करीबी रहे अकबर अहमद डंपी को बसपा प्रत्याशी बना सकती है. अगर प्लान के मुताबिक सब कुछ ठीक रहा तो आजमगढ़ का चुनाव काफी दिलचस्प होगा.

सपा की रणनीतिकारण कि आजमगढ़ में एक तरफ जहां बड़ा मुस्लिम चेहरा होने का डंपी को फायदा मिलेगा वही डंपी की सवर्ण बिरादरी में अच्छी पकड़ भाजपा की मुश्किलें बढ़ाएगा. इसके बाद आजमगढ़ में त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकती है. राजनीति के जानकर कहते हैं कि इस बार आजमगढ़ सीट पर मुकाबला कड़ा रहने वाला है. सपा ने भाजपा की घेराबंदी के लिए बसपा के पिछले उम्मीदवार गुड्डू जमाली को अपने पाले में लाकर लड़ाई आसान कर ली है. एमवाई समीकरण के जरिए सपा यहां बाजी मारना चाहती है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस सीट को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे. उनका पूरा जोर यहां अन्य जातियों के साथ यादव व मुस्लिमों को पूरी तरह साधने पर है.

भाजपा अपनी जीत को दुहराने का दावा कर रही है. इस बीच बसपा सुप्रीमों मायावती का एक मास्टर प्लान ने दोनों खेमों में खलबली मचा दी है. चर्चा है बसपा एक बार फिर अकबर अहमद डंपी को मैदान में उतार सकती है. बता दें कि आजमगढ़ में वर्ष 1985 में राजनीति की शुरुआत करने वाले रमाकांत यादव की तूती बोलती थी. रमाकांत यादव वर्ष 1985, 1989, 1991 व 1993 में फूलपुर पवई विधानसभा से लगातार विधायक चुने गए थे. इसके बाद वर्ष 1996 में सपा के टिकट पर वे सांसद चुने गए.

डंपी ने शुरू किया खेलवर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने मुस्लिम दाव खेला और संजय गांधी के करीबी बाहुबली अकबर अहमद डंपी को मैदान में उतार दिया. वहीं सपा ने फिर बाहुबली रमाकांत पर दाव लगाया. यह आजमगढ़ का अब तक का सबसे चर्चित चुनाव रहा. इस चुनाव में डंपी ने सीधे तौर पर रमाकांत को टार्गेट किया. डंपी के डायलाग देश में सिर्फ दो गुंडे हुए एक संजय गांधी और दूसरा अकबर अहमद डंपी ये तीसरा रमाकांत कौन है. इस दौरान डंपी ने खुले मंच से बाहुबली रमाकांत के बारे में अपशब्द बोले. अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दोनों के बीच इतनी तल्खी बढ़ गई थी कि जब 17 फरवरी 1998 को रमाकांत यादव और डंपी अंबारी चौक पर आमने सामने हुए तो असलहे निकल गए. यह अलग बात है कि दोनों तरफ से सिर्फ हवाई फायरिंग की गई.

अपनी भाषा के दम पर ही डंपी रमाकांत विरोधियों को अपने पक्ष में लामबंद करने में सफल रहे और 2.53 लाख वोट हासिल कर चुनाव जीत लिया. रमाकांत यादव को 2.48 लाख वोट मिले.

वैसे दोनों नेताओं के बीच तल्खी 1998 के चुनाव के बाद भी कम नहीं हुई. वर्ष 1999 के चुनाव में भी दोनों उसी तेवर के साथ मैदान में उतरे थे लेकिन इस बार बाजी रमाकांत यादव के हाथ लगी थी. रमाकांत 2.22 लाख वोट पाकर विजयी रहे. इसके बाद दोनों का वर्ष 2008 के उपचुनाव में आमना सामना हुआ. रमाकांत यादव बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे तो बसपा ने डंपी को मैदान में उतारा. इस चुनाव में डंपी ने फिर जीत हासिल की थी.
.Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : March 22, 2024, 20:21 IST



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