आगरा की काली मस्जिद, जहां घूमते हैं भूत! कुत्ते, बिल्ली और बंदर आपस में दोस्त
आगरा में सैकड़ों मुगलकालीन इमारतें हैं, जिनमें से एक है संदली मस्जिद। यह मस्जिद अपनी रहस्यमयी बिल्लियों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें लोग मुरादें पूरी होने की मन्नत के तौर पर खाना खिलाते हैं। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मस्जिद पर जिन्नों (भूत प्रेत) का साया रहता है, और कुछ लोग अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए भी यहां आते हैं।
संदली मस्जिद को कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि संदली मस्जिद, काली मस्जिद, जिन्नों की मस्जिद, और बिल्लियों वाली मस्जिद। यह मस्जिद ताजमहल के पूर्वी गेट के ठीक सामने बनी हुई है, और यह शाहजहां की पत्नी कंधारी बेगम का मकबरा है। शाहजहां ने कंधारी की मौत के बाद उन्हें यहीं दफनाया था, जिसे आज संदली मस्जिद कहा जाता है।
इतिहासकार राज किशोर शर्मा राजे के मुताबिक, लोगों की मान्यता है कि यहां अपनी मुराद पत्र में लिख कर रखने से वो पूरी हो जाती है। यहां भारी संख्या में बिल्ली, बंदर और कुत्ते एक साथ रहते हैं। लोग यहां आकर उन्हें खाना खिलाते हैं। इस मस्जिद में नमाज भी अदा की जाती है, और हर धर्म के लोगों की यहां आस्था है। यहां मौलाना झाड़ा भी लगाते हैं।
वर्तमान में यह इमारत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन सरंक्षित है, जिसकी समय-समय पर देखरेख एएसआई के लोग करते हैं। यह इमारत लाल पत्थर से बनी हुई थी, लेकिन समय के साथ यह काली पड़ गई, जिस वजह से इसे काली मस्जिद का जाने लगा।