उत्तर प्रदेश के आगरा में धर्मांतरण से जुड़े एक सनसनीखेज मामले ने खुफिया एजेंसियों को सकते में डाल दिया है. यूपी एटीएस की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि धर्मांतरण की आड़ में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भारत में ‘लेडी ब्रिगेड’ स्लीपर सेल तैयार कर रही थी. इस सिंडिकेट का जाल सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि कनाडा, इंग्लैंड, फिलीपींस और खाड़ी देशों तक फैला हुआ था.
सूत्रों के मुताबिक, धर्मांतरण कराने के बहाने पीड़ित लड़कियों को कट्टरपंथ के रास्ते पर धकेला जा रहा था. इस साजिश के पीछे पाकिस्तान के दो यूट्यूबर तनवीर अहमद और साहिल अदीब का हाथ सामने आया है, जो ऑनलाइन माध्यम से लड़कियों को इस्लाम धर्म की कट्टर ट्रेनिंग दे रहे थे. ये दोनों सीधे तौर पर ISI के लिए काम करते हैं.
फिलीपींस से हो रही थी फंडिंग
जांच में सामने आया है कि फिलीपींस में मौजूद एक एनजीओ ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म ‘GO Fund Me’ के जरिये धर्मांतरण सिंडिकेट को लगातार पैसे भेज रहा थ. इस फंडिंग के लिए क्रिप्टोकरेंसी और अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे पैसों के ट्रेल को छुपाया जा सके.
कनाडा, इंग्लैंड और गल्फ कनेक्शन
सूत्रों के मुताबिक, जांच में पता चला है कि कनाडा में मौजूद सैयद दाऊद इस सिंडिकेट को आर्थिक रूप से मदद कर रहा था. दाऊद मूल रूप से मध्य प्रदेश के गांधी नगर का रहने वाला है. वह कनाडा में एक इस्लामिक सेंटर भी चलाता है, जो संदिग्ध गतिविधियों में शामिल बताया गया है. इसके अलावा, इंग्लैंड से भी व्हाइट डोनेशन के नाम पर इस सिंडिकेट को फंड भेजे जा रहे थे.
पीड़ित लड़कियों को ना केवल धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया गया, बल्कि उन्हें जेहाद और कट्टर विचारधारा की ओर मोड़ा जा रहा था. सूत्रों ने बताया कि इस गिरोह का इरादा लड़कियों को गल्फ देशों में भेजने का भी था, जहां उनका आगे उपयोग किसी बड़ी साजिश के तहत हो सकता था.
दिल्ली और कश्मीर में भी एक्टिव थी विंग
जांच में यह भी पाया गया कि इस सिंडिकेट की व्हाट्सएप विंग दिल्ली में सक्रिय थी, जहां धर्मांतरण के लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा था. इसके अलावा कश्मीर में एक मास्टरमाइंड हारिस की पहचान हुई है, जिसकी तलाश अब तेज कर दी गई है.
इस पूरे मामले में आतंकी साजिश के संकेत मिलने के बाद यूपी ATS के साथ-साथ केंद्रीय जांच एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं. एजेंसियों का मानना है कि इस धर्मांतरण नेटवर्क के जरिए भारत में ISI न सिर्फ सांस्कृतिक और धार्मिक अस्थिरता फैलाना चाहता था, बल्कि लंबी अवधि के लिए एक महिला स्लीपर सेल खड़ा करने की योजना भी थी.
फिलहाल, इस साजिश में कई संदिग्ध गिरफ्तार किए जा चुके हैं और कई पर नजर रखी जा रही है. जांच एजेंसियों के मुताबिक यह अब सिर्फ धर्मांतरण का मामला नहीं, बल्कि एक बहुस्तरीय अंतरराष्ट्रीय साजिश है, जिसमें आतंकी नेटवर्क, डिजिटल फंडिंग और कट्टरपंथ का खतरनाक मेल है.