नोएडा की 13 वर्षीय आद्या की जिंदगी उस समय एक चौंकाने वाले मोड़ पर पहुंच गई जब उसने कक्षा 10 के बोर्ड एग्जाम खत्म किए ही थे. आद्या को एडोलेसेंट आइडियोपैथिक स्कोलियोसिस नाम की गंभीर बीमारी हो गई, जिसमें रीढ़ की हड्डी असामान्य रूप से मुड़ जाती है. यदि समय पर इलाज न हो, तो यह स्थिति शारीरिक विकलांगता और दिल-फेफड़ों की गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है.
लेकिन फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया. स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. तरुण सूरी और उनकी विशेषज्ञ टीम ने एडवांस्ड मेडिकल तकनीकों के साथ सफल सर्जरी की. इस प्रक्रिया में इन्ट्राऑपरेटिव न्यूरो मॉनिटरिंग (IONM), अल्ट्रासोनिक बोन स्केल्पल और सेल सेवर्स जैसे अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया गया.
50 डिग्री तक मुड़ी थी रीढ़ की हड्डीडॉ. सूरी ने बताया कि जब आद्या अस्पताल पहुंची, तब उसकी रीढ़ की हड्डी 50 डिग्री तक मुड़ चुकी थी. अगर इलाज में देरी होती, तो यह न सिर्फ बाहरी आकृति को प्रभावित करता, बल्कि अंदर के अंगों की पावर पर भी असर डालता. इसलिए सर्जरी जरूरी थी. खास बात यह रही कि सर्जरी के महज पांच दिन बाद ही आद्या को अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वह तीन हफ्तों के भीतर स्कूल भी जाने लगी.
लड़कियों में ज्यादा दिक्कतस्कोलियोसिस के मामले लड़कियों में लड़कों की तुलना में सात गुना अधिक होते हैं, लेकिन भारत में जागरूकता की कमी के कारण समय पर पहचान नहीं हो पाती. डॉक्टरों के अनुसार, हर 10 में से 1 बच्चा इस बीमारी से प्रभावित हो सकता है, पर ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण शुरुआती चरण में अनदेखे रह जाते हैं.
आद्या की मां ने बताया कि शुरू में उन्होंने बेटी की कमर के झुकाव को सिर्फ बैठने की खराब आदत माना, लेकिन जब पता चला कि यह स्कोलियोसिस है, तो पूरी दुनिया जैसे थम गई थी. हालांकि, अब जब वे बेटी को आत्मविश्वास से चलते और मुस्कराते हुए देखते हैं, तो उन्हें अपने फैसले पर गर्व होता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.